सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा है कि जो कुछ फिलिस्तीन में हो रहा है उसका अतिग्रहणकारियों से लड़ाई में और जायोनी शासन के भविष्य के लिए बड़ा संदेश है।
लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने जायोनियों को संबंधित करते हुए कहा कि अगर यह शर्तबंदी कर रहो कि फिलिस्तीनी नाउम्मीद हो चुके हैं तो भूल कर रहो। उन्होंने लेबनान में होने वाले परिवर्तनों के संबंध में कहा कि हमें इस बात का हक़ है कि हम अमेरिकी दूतावास पर आरोप लगायें कि वह लेबनान में होने वाले चुनावों को विलंबित करने के लिए प्रयास कर रहा है।
उन्होंने लेबनानी जनता को संबोधित करते हुए कहा कि हिज़्बुल्लाह के बारे में जो कुछ लिखा जाता है उस पर विश्वास न करें बल्कि उस चीज़ पर विश्वास करें जो हिज़्बुल्लाह अंजाम देता है क्योंकि हिज़्बुल्लाह के अमल का आधार सच्चाई है, हम चुनावो में सबकी यहां तक कि अपने विरोधियों व दुश्मनों की भी भागीदारी चाहते हैं जबकि अतीत में चुनावी कानून में दूसरे पक्षों को जानबूझ कर हटा दिया जाता था। उन्होंने कहा कि हम राष्ट्रीय एकजुटता की सरकार चाहते हैं।
सैयद हसन नसरूल्लाह ने कहा कि कुछ लोग यह बताने की चेष्टा में हैं कि प्रतिरोध के हथियार संकट के कारण हैं परंतु वे 30 साल से जारी आर्थिक भ्रष्टाचार और भ्रष्ट नीतियों के बारे में बात नहीं करते हैं, जो पार्टियां 30 साल से अधिक सत्ता में थीं वे एलान करें कि उन्होंने लोगों के साथ क्या किया है, जो लोग प्रतिरोध के हथियार की बात करते हैं उनका लक्ष्य अमेरिका, पश्चिम और कुछ अरबों सरकारों को खुश करना है ताकि वे उनका आर्थिक समर्थन करें। उन्होंने कहा कि प्रतिरोध शक्ति में संतुलन उत्पन्न करके दुश्मन के मुकाबले में देश की रक्षा कर रहा है।
इसी प्रकार सैयद हसन हसन नसरुल्लाह ने कहा कि हम यमन में युद्ध विराम का स्वागत करते हैं और हम आरंभ से युद्ध और लोगों का रक्तपात बंद किये जाने के इच्छुक थे और कोई भी सऊदी अरब को लक्ष्य नहीं बनाना चाहता।
जानकार हल्कों का मानना है कि दुश्मनों की एक चाल यह है कि जो चीज़ भी उनकी विस्तारवादी नीतियों के मार्ग की बाधा है उसके खिलाफ जितना हो सके दुष्प्रचार किया जाये और आम जनमत का ध्यान संकट के वास्तविक कारणों से भटकाया जाये। लेबनान और क्षेत्र के कुछ संचार माध्यम यह बताने का प्रयास करते हैं कि इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह बहुत से संकटों का ज़िम्मेदार है इसलिए वे हिज़्बुल्लाह के निरस्त्रीकरण की मांग करते हैं जबकि यह अमेरिका और इस्राईल की हार्दिक इच्छा है।
इसी प्रकार जानकार हल्कों का मानना है कि अमेरिका और इस्राईली और उनके समर्थक अच्छी तरह जानते हैं कि अगर जायोनी सैनिक दक्षिणी लेबनान से भागे हैं तो उसकी वजह हिज़्बुल्लाह का साहसिक प्रतिरोध है और अगर हिज़्बुल्लाह के हथियार और उसके प्रतिरोध न होते तो कोई भी ताकत न तो इस्राईल को दक्षिणी लेबनान से निकाल सकती थी और न ही जायोनी शासन की विस्तारवादी कार्यवाहियों व नीतियों के मार्ग की रुकावट बन सकती थी।
नोटः ये व्यक्तिगत विचार हैं। पार्सटूडे का इनसे सहमत होना ज़रूरी नहीं है। MM