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नई दिल्ली11 मिनट पहले
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सुनीता और बुश बीते 80 दिनों से अंतरिक्ष में फंसे हुए हैं।
भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुश विलमोर फरवरी 2025 में धरती पर लौटेंगे। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने शनिवार (24 अगस्त) को बयान जारी कहा है।
NASA के एडमिनिस्ट्रेटर बिल नेल्सन ने कहा- नासा ने फैसला किया है कि बुश और सुनीता अगली फरवरी में स्पेसएक्स के ड्रैगन (क्रू-9) स्पेसक्राफ्ट से वापस आएंगे। बोइंग का स्टारलाइनर बिना चालक दल के धरती पर वापस आएगा।
उन्होंने कहा कि बोइंग डेटा प्राप्त करने के लिए नासा के साथ बहुत मेहनत की, इसके बाद ये फैसला लिया। हम स्टारलाइनर के डिजाइन सुधारों और इसमें आई खराबी के मूल कारणों को समझना चाहते हैं। इससे होगा कि बोइंग स्टारलाइनर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) जाने के लिए हमारे चालक दल का महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकेगा।
सुनीता और विल्मोर 5 जून को NASA की बोइंग स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट से ISS पहुंचे थे। दोनों को 13 जून को वापस आना था, लेकिन स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खराबी के कारण उनकी वापसी टल गई थी।
6 जून को स्पेस स्टेशन पहुंचने के बाद क्रू के साथ बुच विल्मोर और सुनीता विलियम्स।
अंतरिक्ष उड़ानें जोखिमपूर्ण हैं: बिल नेल्सन
नेल्सन ने अंतरिक्ष यात्रा के खतरों को लेकर कहा, ‘अंतरिक्ष उड़ान जोखिमपूर्ण है, यहां तक कि अपने सबसे सुरक्षित और सबसे नियमित समय पर भी। एक परीक्षण उड़ान स्वभाव से न तो सुरक्षित होती है और न ही नियमित, इसलिए बुच और सुनीता को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर रखने और बोइंग स्टारलाइनर को बिना चालक दल के वापस लाने का निर्णय सुरक्षा के लिए कमिटमेंट का परिणाम है।’
सुनीता और विलमोर को स्पेस स्टेशन पर क्यों भेजा गया था
सुनीता और बुश विलमोर बोइंग और नासा के जॉइंट ‘क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन’ पर गए थे। इसमें सुनीता, स्पेसक्राफ्ट की पायलट थीं। उनके साथ गए बुश विलमोर इस मिशन के कमांडर थे। दोनों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में 8 दिन रुकने के बाद वापस पृथ्वी पर आना था।
लॉन्च के समय बोइंग डिफेंस, स्पेस एंड सिक्योरिटी के प्रेसिडेंट और CEO टेड कोलबर्ट ने इसे स्पेस रिसर्च के नए युग की शानदार शुरुआत बताया था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य स्पेसक्राफ्ट की एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन तक ले जाकर वापस लाने की क्षमता साबित करना था।
एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन पर 8 दिन में रिसर्च और कई एक्सपेरिमेंट भी करने थे। सुनीता और विलमोर पहले एस्ट्रोनॉट्स हैं जो एटलस-वी रॉकेट के जरिए स्पेस ट्रैवेल पर भेजे गए। इस मिशन के दौरान उन्हें स्पेसक्राफ्ट को मैन्युअली भी उड़ाना था। फ्लाइट टेस्ट से जुड़े कई तरह के ऑब्जेक्टिव भी पूरे करने थे।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में सुनीता विलियम्स और बुश विलमोर। तस्वीर 9 जुलाई 2024 की है।
सुनीता और विलमोर इतने लंबे समय तक स्पेस में कैसे फंस गए?
स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट के लॉन्च के समय से ही उसमें कई दिक्कतें थीं। इनके चलते 5 जून से पहले भी कई बार लॉन्च फेल हुआ था। लॉन्च के बाद भी स्पेसक्राफ्ट में दिक्कतों की खबर आई।
नासा ने बताया कि स्पेसक्राफ्ट के सर्विस मॉड्यूल के थ्रस्टर में एक छोटा सा हीलियम लीक है। एक स्पेसक्राफ्ट में कई थ्रस्टर होते हैं। इनकी मदद से स्पेसक्राफ्ट अपना रास्ता और स्पीड बदलता है। वहीं हीलियम गैस होने की वजह से रॉकेट पर दबाव बनता है। उसका ढांचा मजबूत बना रहता है, जिससे रॉकेट को अपनी फ्लाइट में मदद मिलती है।
लॉन्च के बाद 25 दिनों में स्पेसक्राफ्ट के कैप्सूल में 5 हीलियम लीक हुए। 5 थ्रस्टर्स काम करना बंद कर चुके थे। इसके अलावा एक प्रॉपेलेंट वॉल्व पूरी तरह बंद नहीं किया जा सका। स्पेस में मौजूद क्रू और अमेरिका के ह्यूस्टन में बैठे मिशन के मैनेजर मिलकर भी इसे ठीक नहीं कर पा रहे हैं।
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