2 घंटे पहले
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रानिल विक्रमसिंघे 1993 में पहली बार श्रीलंका के प्रधानमंत्री बने थे।
श्रीलंका में 21 सितंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में कुल 39 उम्मीदवार हिस्सा लेंगे। इनमें वर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे भी शामिल हैं। विक्रमसिंघे ने पिछले महीने 27 जुलाई को गाले में एक रैली के दौरान चुनाव लड़ने की घोषणा की थी।
नामांकन स्वीकार होने के बाद विक्रमसिंघे ने कहा कि हमें देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर करना है। विक्रमसिंघे के अलावा नामांकन दाखिल करने वालों में दो बौद्ध भिक्षु और तीन तमिल अल्पसंख्यक भी शामिल हैं। हालांकि राष्ट्रपति चुनाव में कोई भी महिला ने उम्मीदवार नहीं है।
आज नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन था। इसके लिए सुबह 9 बजे से लेकर 11 बजे तक का समय दिया गया था। श्रीलंका के इतिहास में पहली बार इतनी अधिक संख्या में उम्मीदवार राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा ले रहे हैं। इससे पहले 2019 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में 35 उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया था।
श्रीलंका की कुल आबादी 2.2 करोड़ है। इनमें 1.7 करोड़ लोग सिंतबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में वोट डालेंगे।
राष्ट्रपति पद के लिए चार प्रमुख उम्मीदवारों में मुकाबला
श्रीलंका में राष्ट्रपति पद के लिए चार प्रमुख उम्मीदवार हैं। इनमें वर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे सबसे बड़े दावेदार हैं। विक्रमसिंघे को सबसे बड़ी चुनौती 57 वर्षीय सजिथ प्रेमदासा से मिल रही है। प्रेमदासा श्रीलंकाई संसद में विपक्ष के नेता हैं।
इनके अलावा वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायका भी राष्ट्रपति रेस में आगे हैं। अनुरा की नेशनल पीपुल पार्टी का गठबंधन श्रीलंका के युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय है। इस त्रिकोणीय मुकाबले में चौथा नाम पिछले हफ्ते जुड़ा है।
श्रीलंका की राजनीति में खासा प्रभाव रखने वाले राजपक्षे परिवार ने नमल राजपक्षे को राष्ट्रपति रेस में उतारा है। नमल पूर्व राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे के बेटे और पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के भतीजे हैं। पिछले हफ्ते तक राजपक्षे परिवार रानिल विक्रमसिंघे के समर्थन में था।
निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं रानिल विक्रमसिंघे
रानिल विक्रमसिंघे ने आगामी राष्ट्रपति चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। उन्होंने श्रीलंका की दक्षिणपंथी पार्टी यूनाइटेड नेशनलिस्ट पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। विक्रमसिंघे को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर भरपूर समर्थन मिलने की उम्मीद है।
इससे पहले नवंबर 2019 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में गोटाबाया राजपक्षे को जीत हासिल हुई थी। हालांकि गोटाबाया को 2022 में राष्ट्रपति पद छोड़ना पड़ा और संसद ने विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बना दिया था। इसके बाद से रानिल विक्रमसिंघे देश के राष्ट्रपति के तौर पर काम कर रहे थे। अब 2 साल बाद देश में चुनाव कराए जा रहे हैं।
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