Wednesday, September 18, 2024
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संदीप घोष को 8 दिन की हिरासत, 3 अन्य आरोपियों को भी भेजा गया सीबीआई रिमांड में, 10 सितंबर को होगी अगली पेशी


Image Source : SOCIAL MEDIA
CBI हिरासत में संदीप घोष (फाइल फोटो)

आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष को सीबीआई ने गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया। जहां संदीप घोष को 8 दिन की हिरासत में भेज दिया गया और 3 अन्य आरोपियों को भी सीबीआई हिरासत में भेजा गया है। अब 10 सितंबर को अगली पेशी होगी। हिरासत में लिए जाने के बाद डॉ संदीप घोष के CBI दफ्तर से निकलते ही इकट्ठे हुए लोग संदिप घोष को चोर-चोर बोलने लगे और उनकी गाड़ियों को रोकने की कोशिश की। गाड़ी के शीशे पर भी लोगों ने हाथ मारना शुरू कर दिया। CRPF की सुरक्षा में डॉ संदीप घोष के काफिले को बाहर निकाला गया। जिसके बाद उन्हें कोर्ट पहुंचाया गया। पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और 3 अन्य आरोपियों को बीती रात सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने गिरफ्तार किया था। आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की वित्तीय अनियमितताओं के मामले में अलीपुर जज कोर्ट में लाया गया था।  

इस मामले में CBI ने संदीप घोष को किया है गिरफ्तार

गिरफ्तारी को लेकर CBI अधिकारियों ने बताया कि गिरफ्तार किए गए तीन अन्य लोगों में घोष का सुरक्षाकर्मी अफसर अली (44) और अस्पताल के विक्रेता बिप्लव सिंघा (52) और सुमन हजारा (46) शामिल हैं, जो अस्पताल को सामग्री की आपूर्ति किया करते थे। घोष की गिरफ्तारी के एक घंटे के भीतर ही सीबीआई अधिकारियों ने इन तीनों लोगों की भी गिरफ्तारी कर ली थी। आर जी कर अस्पताल की एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ कथित बलात्कार और हत्या के मामले में घोष से एजेंसी के साल्ट लेक कार्यालय में पूछताछ की जा रही थी। जिसके बाद संदीप घोष को CBI के निजाम पैलेस ऑफिस ले आया गया। यहां CBI की एंटी करप्शन ब्रांच है। यहीं पर घोष को गिरफ्तार कर लिया गया। अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक डॉ. अख्तर अली ने घोष के प्रिंसिपल रहने के दौरान अस्पताल में वित्तीय अनियमितताएं होने की शिकायत दर्ज कराई थी। राज्य स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव देबल कुमार घोष द्वारा दर्ज कराई गई लिखित शिकायत के आधार पर सीबीआई ने बीते 26 अगस्त को संदीप घोष के खिलाफ FIR दर्ज की थी। एजेंसी ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) धारा 420 (धोखाधड़ी) के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (2018 में संशोधित) की धारा सात लगाई है, जो एक लोक सेवक द्वारा अवैध रूप से रिश्वत स्वीकार करने से संबंधित है।

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