एक अंतरराष्ट्रीय साइंस जर्नल में दावा किया गया है कि भारत के ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की वजह से हर साल करीब 60 से 70 हजार शिशुओं की जान बच जाती है। ‘नेचर’ में छपे इस अध्ययन में कहा गाय है कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालयों के निर्माण की वजह से भारत में शिशु मृत्यु दर में तेजी से कमी आई है। यह अध्ययन पांच वैज्ञानिकों ने मिलकर किया है।
बता दें कि 2 अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी। यह दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छता अभियान था जिसके तहत 2020 तक भारत को खुले में शौच मुक्त बनाया जाना था। इसके तहत सरकार ने करीब 10 करोड़ शौचालय बनवाए। 6 लाख गांवों को खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया।
जिन पांच वैज्ञानिकों ने मिलकर यह अध्ययन किया है उनके नाम सुमन चक्रवर्ती, सोयरा गुने, टिम ए ब्रकनर, जूली स्ट्रोमिंगर और पार्वती सिंह है। इस आर्टिकल में कहा गया है शिशु मृत्युदर और अंडर फाइव मोर्टालिटी रेट कि अर्द्ध प्रायोगिक अध्ययन किया गया है। ‘
इस अध्ययन के लिए 10 राज्यों और 640 जिलों के आंकड़े इकट्ठा किए गए थे। ये आंकड़े 2011 से 2020 के दौरान के थे। आर्टिकल में कहा गया है, स्वच्छ भारत अभियान शुरू होने के बाद पाया गया है कि बच्चों और शिशुओं की मृत्यु दर में तेजी से कमी आई है। संभव है कि बड़ी संख्या में शौचालयों के निर्माण की वजह से मृत्यु दर कम हुई है। यह करीब 60 से 70 हजार वार्षिक है। स्टडी में कहा गया है कि स्वच्छ भारत अभियान शुरू होने के बाद शिशु मृत्यु दर में औसतन 0.9 फीसदी और अंडर फाइव मृत्यु दर में 1.1 पॉइंट की कमी आई है।
इसके अलावा शुद्ध पानी और सफाई की उपलब्धता की वजह से भी शिशु मृत्यु दर कम हुई है। भारत जैसे देश में खुले में शौच बड़ी समस्या थी जिससे काफी हद तक निजात मिली है। आर्टिकल में कहा गया है कि इस स्टडी में सबूत मौजूद हैं कि किस तरह से स्वच्छ भारत अभियान शुरू होने के बाद बच्चों की मौतें कम हुई हैं और स्वास्थ्य सुधरा है। आर्टिकल में कहा गया है कि पहले डायरिया और अन्य इस तरह की बीमारियों की वजह से बच्चों की मौतें होती थीं जिनमें काफी कमी आई है। शौचालय की वजह से खुले में शौच की समस्या कम हुई है।
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