Wednesday, September 4, 2024
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“हाय रसूल ए खुदा, हाय इमाम ए हसन” नौहा पढ़ते हुए आजादरों ने किया मातम।

नौगावां सादात में रसूल अल्लाह और इमाम हसन की शहादत पर जुलूस का आयोजन

नौगावां सादात, 3 सितंबर 2024(एड. शहज़ाद आब्दी की रिपोर्ट):  नौगावां सादात में रसूल अल्लाह और इमाम हसन की शहादत  2 सितंबर की रात्रि को नंबरदारनी वाले इमामबारगाह में शब्बेदारी का आयोजन किया गया जिसमे बस्ती की चारो अंजुमनों ने भाग लिया एवं विभिन्न क्षेत्रों से आई हुई  छ: अन्य अंजुमनों ने भी भाग लिया।  सुबह को ताबूत व जुलूस निकाला गया। शब्बेदारी और ताबूत, जुलुस बरामद किए जाने के धार्मिक आयोजन ने पूरे इलाके में श्रद्धा और अकीदत का वातावरण पैदा कर दिया।

सुबह के समय, दस अंजुमनों – अंजुमन हैदरी, अंजुमन यादगारे हुसैनी, अंजुमन आब्दिया, और अंजुमन सोगवारे हुसैनी,  और बाहर ये आई हुई छ: अंजुमनों ने मिलकर एक जुलूस निकाला। इस जुलूस ने मोहल्ला हफ्ता बाजार, दौलत शहीद, बड़ी इमली, फखरपूरा, हुसैनी चौक, पंहियारी तालाब, शाहफरीद, अली नगर, बुध बाजार और गुला तालाब आदि सभी मोहल्लों में गश्त की। 

शाम को, अंजुमन हैदरी ने इमाम बारगाह सैय्यद नूर से एक अलग जुलूस निकाला। इस जुलूस के दौरान श्रद्धालुओं ने “हाय रसूल ए खुदा, हाय इमाम ए हसन” नौहा पढ़ा और इमाम हसन की शहादत को श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस जुलूस ने भी उपरोक्त मोहल्लों का दौरा किया और इमाम हसन की शहादत की याद में शोक और मातम किया। ताबूत को श्रद्धा और सम्मान के साथ उठाया गया, और मातमदारों ने एकजुट होकर इमाम हसन के बलिदान को याद किया।

इमाम हसन की शहादत:

ज्ञात हो कि इमाम हसन, रसूल अल्लाह के प्यारे नवासे और इमाम अली तथा जनाबे फातिमा ज़हरा के बड़े बेटे थे। उनको उस दौर के शासक ने ज़हर देकर शहीद करा दिया था। और जब उनको रसूल अल्लाह की कब्र के बराबर में दफन करने के लिए ले जाया गया तो इमाम हसन के लाशे पर तीरों की बारिश कर दी गई थी। उनकी शहादत इस्लामिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है। इमाम हसन ने अपने जीवन में शांति और न्याय की स्थापना के लिए संघर्ष किया और अंत में शहादत दी। 

उनकी शहादत हमें बलिदान, धैर्य और सच्चे विश्वास की शिक्षा देती है। इमाम हसन का जीवन इस्लामिक उम्माह के लिए एक प्रेरणा है और उनकी शहादत को श्रद्धा और सम्मान के साथ याद किया जाता है।

आज के जुलूस का नेतृत्व अंजुमन के सदर मोहम्मद अब्बास मुन्ना और सेक्रेटरी हुसैन अब्बास हुस्नी ने किया। स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने जुलूस की सुरक्षा सुनिश्चित की और शांति बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए। श्रद्धालुओं ने इमाम हसन और रसूल अल्लाह की शहादत की याद में मातम और श्रद्धांजलि अर्पित की।


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