ईरान के रक्षा मंत्री ने कहा है कि सऊदी अरब का तेहरान के ख़िलाफ़ दूसरे शासनों से हाथ मिलाने का इतिहास रहा है और अब वह इतना कमज़ोर हो गया है कि उसने इस्लामी गणतंत्र ईरान के ख़िलाफ़ इस्राईल से हाथ मिला लिया है।
ब्रिगेडियर जनरल हुसैन दहक़ान ने सोमवार को अरबी भाषी टीवी चैनल अलमनार से सोमवार को प्रसारित अपने इंटर्व्यू में यह बात कही।
उन्होंने कहा कि पिछले 38 साल जबसे ईरान में इस्लामी गणतंत्र स्थापित हुआ है, सऊदी अरब ने ईरान का विरोध करने के लिए क्षेत्रीय मामलों में हस्तक्षेप का रास्ता चुना है।
ईरानी रक्षा मंत्री ने कहा कि 80 के दशक में ईरान-इराक़ 8वर्षीय जंग में रियाज़ ने ईरान के ख़िलाफ़ इराक़ के पूर्व शासन और फ़ार्स खाड़ी के तटवर्ती देशों पर जमकर पैसा लुटाया। उन्होंने इसी प्रकार लेबनान की राजनीति में सऊदी अरब के हस्तक्षेप का उल्लेख करते हुए कहा कि सऊदी शासन तंत्र ने लेबनान में अपने दृष्टिगत गुट को सत्ता में लाने के लिए बहुत बड़े वित्तीय व राजनैतिक समर्थन की पेशकश की थी। इसी प्रकार सऊदी अरब ने इन गुटों को हथियार भी दिए।
दहक़ान ने कहा, “आज उन्होंने सीरिया और इराक़ में क्या किया। आज वे यमन में क्या कर रहे हैं।”
ग़ौरतलब है कि सऊदी अरब क्षेत्र और क्षेत्र से बाहर चरमपंथी वहाबी गुटों को वित्तीय मदद देने के लिए जाना जाता है। यमन पर 2015 से थोपे गए युद्ध में भी सऊदी अरब अपने ताबेदार राष्ट्रों की अगुवाई कर रहा है।
ईरानी रक्षा मंत्री ने कहा, “आज हम देख रहे हैं कि सऊदी अरब इतना कमज़ोर हो गया है कि उसने ख़ुद को इस बात के लिए तय्यार कर लिया है कि हमारे ख़िलाफ़ ज़ायोनी प्रधान मंत्री नेतनयाहू से मदद ले और इस्राईली शासन को हमारे ख़िलाफ़ भड़काए।” (MAQ/N)