मितौली/खीरी (हसन जाज़िब आब्दी): लखीमपुर खीरी के तहसील मितौली क्षेत्र में हर साल की तरह इस बार भी 29 सफ़र को चेहलुम ए शोहदा के कर्बला मनाया गया ।
मितौली में एक बड़ी तादात में शिया – सुन्नी दोनों ही समुदाय के लोग इस ग़म में अक़ीदत के साथ शरीक़ होते है और अपने – अपने घरों व आज़ख़्वानो में मजलिसों का इनएक़ाद करते है।
ब सिलसिला ए चेहलुम इमाम हुसैन इब्ने अली अ०स० मितौली के क़दीमी इमामबारगाह के साथ – साथ , जनाब ज़फ़र साहब और जनाब शबीहुल हसन साहब (मरहूम) के आज़ख़्वानो में 28 सफ़र को शब में मजलिसें व शब ए बेदारी ग़म ए मज़लूम ए कर्बला मुनअक़ीद हुई।
28 सफ़र को शब में सिलसिलेवार तीन मजलिसें हुई और मातमी अंजुमनों ने अपने – अपने अंदाज़ मे नौहाख़वानी पेश कर शहीद ए कर्बला इमाम हुसैन अ०स० को नज़राने अक़ीदत पेश किया।
जुमेरात (29 सफ़र) को दिन में फ़िर सिलसिलेवार 3 मजलिसें हुई, जिसको बाहर से आये हुए ओलमा ए क़राम जनाब मौलाना रौशन साहब किब्ला महमूदपुर-सरैयां व आली जनाब मौलाना असग़र अब्बास साहब किब्ला सिरसी – सम्भल , U. P. (प्रोफ़ेसर – जयपुर, राजस्थान) ने ख़िताब किया ।
ज़ाकिर ए अहलेबैत आली जनाब मौलाना असग़र अब्बास साहब ने मजलिस को ख़िताब करते हुए कहा कि शिया उस क़ौम का नाम है जो उस हुसैन की ग़ुलाम है जिसने दुनिया के सबसे पहले आतंकवादी यज़ीद इब्ने मुआविया के आगे सर को न झुकाया और इस्लामऔर इंसानियत को क़याम रखने के लिए अपना सब कुछ क़ुर्बान कर दिया ।
आज से 1440 साल पहले इमाम हुसैन अ०स० ने कर्बला के मैदान में अपने 72 साथियों के साथ इंसानियत व इस्लाम को बचाने के लिए शहादत पेश की थी लेकिन उस वक़्त के सबसे बड़े बादशाह और आतंकी यज़ीद इब्ने मुआविया से हाथ नही मिलाया था जो कि एक शराबी व अय्याश क़िस्म का इंसान था।
मजलिस के दौरान हरदोई ज़िले से तशरीफ़ लाये हुए पेशख़्वान जनाब क़ासिम अब्बास साहब ने पेशख़्वानी करी और शायर ए अहलेबैत समीर ज़ैदी , मुस्तफ़ा अब्बास , हसन जाज़िब आब्दी ने मौला अब्बास की शान में शेर पेश करे।
मजलिस के बाद महमूदपुर , माफ़ी , सरैयां – हरदोई से आयी हुई अंजुमनों – अंजुमन ए अब्बासिया , अंजुमन ए सज्जादिया , अंजुमन ए शमशीर ए हैदरी के मिम्बरान ने नौहों व मातम के साथ जुलूस बरपा किया ।
जुलूस में बाहर से आये हुए नौहाख्वान व ज़ाकिर ए अहलेबैत जनाब ज़ीशान हैदर ज़ैदी साहब ने अपने बेहतरीन अंदाज़ में नौहाख्वानी पेश की।
जुलूस मितौली के क़दीमी इमामबारगाह ज़ैदी कॉलोनी से निकल कर पुरानी मस्जिद से होता हुआ रोड पर पहुँचा जहां से फिर कर्बला के लिए रवाना हुआ।
जुलूस में पुलिस बल का काफ़ी सहयोग रहा जिसकी वजह से जुलूस के दौरान किसी वाद-विवाद और जाम जैसे हालातों का सामना नही करना पड़ा।
चेहलुम के प्रोग्राम में मितौली के तमाम अकीदतमंदों का सहयोग रहता है जिसमे ख़िदमत ए सोगवारने इमाम हुसैन अ०स० ले लिए – मोहम्मद हैदर आब्दी ,ज़फ़र मेहंदी, सज्जाद मेहंदी मोहसिन, मोहम्मद अब्बास आब्दी (एड०) , वजीहुल हसन अर्शी , वसीहुल हसन अज़मी, शबी हैदर आब्दी , हसन जाज़िब आब्दी , अली मेहंदी छोटू , आदिल रिज़वी , फ़रमान ज़ैदी , इमरान ज़ैदी , मो०मेहंदी आकिब, अरीब उल हसन, तौफ़ीक़ अली , इस्लामुद्दीन , मुस्तक़ीम , रियाज़ ख़ाँ व तमामी हज़रात मौजूद रहे।