भोपाल। शिवराज सरकार के पूर्व मंत्री और भाजपा के सीनियर नेता कमल पटेल को नर्मदा में होने वाले खनन को लेकर आवाज उठाना मंहगा पड़ गया। उन्हें पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही चेतावनी भी दी है कि क्यों न उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की जाए।
पटेल ने नौकरशाहों और रेत कारोबारियों की सांठगांठ से पांच हजार करोड़ रुपये के घोटाले तक का आरोप लगाया। इस पर सरकार को हरदा के जिलाधिकारी को हटाना पड़ा। इतना ही नहीं, पूर्व मंत्री इस मामले को लेकर एनजीटी भी गए, जहां से मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर कहा गया है कि क्यों न नर्मदा के नुकसान की जांच के लिए एसआईटी बनाई जाए। एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नर्मदा सेवा यात्रा की समाप्ति के बाद नर्मदा नदी में खनन पर रोक का ऐलान कर चुके हैं, वहीं उनकी ही पार्टी का एक वरिष्ठ नेता नर्मदा में अवैध खनन का आरोप लगाते हुए एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) तक पहुंच गया।
पूर्व मंत्री की इस हिमाकत से पार्टी नाराज है। बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने कहा कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने पटेल को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, क्योंकि पटेल की सार्वजनिक बयानबाजी से पार्टी और सरकार की छवि पर असर पड़ रहा था। पटेल से यह भी पूछा गया है कि क्यों न उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की जाए।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी आरोप लगा चुके हैं कि नर्मदा में अवैध रेत खनन कर मुख्यमंत्री के रिश्तेदारों ने करोड़ों की संपत्ति बना ली है। इस पर पर्दा डालने के लिए मुख्यमंत्री ने बड़े पैमाने पर नर्मदा सेवा यात्रा शुरू कर दिया और इसमें प्रधानमंत्री तक को बुला लिया। जब लूट से पेट भर गया, तब अवैध रेत खनन पर रोक लगाने का ऐलान कर दिया गया।