नेशनल मेडिकल कमिशन ने एमबीबीएस में सीबीएमई यानी कॉम्पिटेंसी बेस्ड मेडिकल एजुकेशन के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं। देश के सभी मेडिकल कॉलेजों में सीबीएमई गाइडलाइंस के हिसाब से ही एमबीबीएस की पढ़ाई होगा। हर मेडिकल संस्थान को सख्ती के साथ उनका पालन करना होगा।एनएमसी के तहत आने वाले (UGMEB )अंडर ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड ने एमबीबीएस के लिए यह गाइडलाइन्स तैयार की हैं। नया करिकुलम एकेडमिक सेशन 2025-26 से नेशनल एग्जिट टेस्ट के पहले सेशन में शुरू होगा।
31 अगस्त को एक आधिकारिक नोटिस में कहा गया है कि एक्सपर्ट ग्रुप के साथ उचित विचार-विमर्श के बाद और एनएमसी अधिनियम, 2019, विशेष रूप से एनएमसी की धारा 10, 24, 25 और 57 द्वारा दी गई शक्तियों के इस्तेमाल के बाद अंडर ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड अधिनियम, सीबीएमई दक्षता खंड- I, II और III के साथ योग्यता-आधारित चिकित्सा शिक्षा दिशानिर्देश, 2024 प्रकाशित किए गए हैं।
रिवाइज करिकुलम में सबसे ज्यादा महत्व लर्नर सेंट्रिक, मरीजों पर फोकस, जेंडर-सेंसेटिव, आउटकम ओरिएंटिड एजुकेशन को दिया गया। ग्लोबल ट्रेंडस को देखते हुए इस करिकुलम के जरिए मेडिकल ग्रेजुएट्स को हेल्थकेयर सेक्टर के सभी मॉडर्न चैलेंज से निपटने और ग्लोबल ट्रेंड्स से जुड़ना है। सीबीएमई दिशानिर्देशों का उद्देश्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जगत में हेल्थकेयर सेक्टर की जरूरतों को पूरा करने के लिए मेडिकल एजुकेशन को बदलना है।
एनएमसी के अनुसार, नए दिशानिर्देशों का जोर 2019 में अपनी स्थापना के बाद से पिछले 5 वर्षों में सीबीएमई की प्रतिक्रिया और अनुभव के आधार पर चिकित्सा शिक्षा की निरंतरता और विकास पर है। इसका उद्देश्य मेडिकल एजुकेशन को ग्लोबल ट्रेंड्स के हिसाब से बनाना है।