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2012 में सत्ता में आई सपा सरकार ने इन्हें सहायक अध्यापक पद पर समायोजित करने का निर्णय लिया था । पहले चरण में जून 2014 में 58,800 शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन हो गया। दूसरे चरण में जून में 2015 में 73,000 शिक्षामित्र सहायक अध्यापक बना दिए गए। तीसरे चरण का समायोजन होने से पहले ही हाईकोर्ट ने सितंबर 2015 में शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त करने के खिलाफ फैसला दिया था और सभी नियुक्तियां रद्द कर दी थीं। फिलहाल इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर यूपी सरकार के साथ ही केंद्र सरकार की भी नजरें टिकीं हुई हैं। वहीं शिक्षामित्रों में शीर्ष कोर्ट के फैसले को लेकर इंतजार है।
वाराणसी: उत्तर प्रदेश में 1.72 लाख शिक्षामित्रों के लिए आज का दिन बेहद खास है। मंगलवार को दिन में 2 बजे मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होनी है। जिसे लेकर पूरे प्रदेश में इन शिक्षामित्रों की धड़कनें तेज हो गई हैं। बतादें कि कोर्ट ने 17 मई को यूपी के 1.72 लाख शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षकों के तौर पर समायोजन के मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख दिया था।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में 1.72 लाख शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित करना है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ शिक्षामित्र सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा मित्रों पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जो भी पक्षकार लिखित रूप से अपना पक्ष रखना चाहता है वह एक हफ्ते के भीतर रख सकते हैं।
शिक्षामित्रों की ओर से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद, अमित सिब्बल, नितेश गुप्ता, जयंत भूषण, आरएस सूरी सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने दलील दी थी कि शिक्षामित्र वर्षों से काम कर रहे हैं, लेकिन अब तक उनका भविष्य अधर में है। ऐसे में उन्हें सहायक शिक्षक बने रहने देना चाहिये। साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल करते शिक्षामित्रों को राहत देने की भी बात कही थी।
इनकी तरफ से ये भी दलीलें दी गई थी कि शिक्षामित्र स्नातक बीटीसी और टीईटी पास हैं। कई ऐसे हैं जो करीब 10 सालों से काम कर रहे हैं। वहीं शिक्षा मित्रों की ओर से ये भी कहा गया था कि शिक्षामित्रों को नियमित किये जाने की बात कहना भी पूरी तरह से गलत है। जबकि सही ये है कि सहायक शिक्षकों के रूप में उनकी नियुक्ति हुई है।
बतादें कि 12 सिंतबर 2015 को हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के करीब 1.72 लाख शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन को निरस्त कर दिया था। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
आपको बता दें कि यूपी सरकार ने करीब 1 लाख 35 हजार शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षकों के तौर पर समायोजन किया है, जबकि करीब 35 हजार सहायक शिक्षकों की नियुक्ति अभी होनी है, लेकिन फिलहाल वह रुकी हुई है। इनकी नियुक्ति बिना टीईटी परीक्षा के ग्राम पंचायत स्तर पर मेरिट के आधार पर की गई थी। 2009 में तत्कालीन बसपा सरकार ने इनके दो वर्षीय प्रशिक्षण की अनुमति नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) से ली। इसी अनुमति के आधार पर इन्हें दूरस्थ शिक्षा के अंतर्गत दो वर्ष का बीटीसी प्रशिक्षण दिया गया।फेसबूक से जुड़ें – यहाँ क्लिक करके पेज लाइक करें