अली अब्बास नकवी- विशेष संवाददाता – दिल्ली – हाल ही में मुंबई के एक पब में आग लगने से दर्जन से ज्यादा लोग आग की आगोश में आ गए थे.. जिसके बाद पूरे देश में हर एक पब, रेस्टोरेंट को डर के रुप में देखा जा रहा है.. और अगर बात करें भारत की राजधानी दिल्ली की तो देश की राजधानी दिल्ली कितनी सुरक्षित है.. इसी मुद्दे पर हमारे विशेष संवाददाता अली अब्बास नकवी ने खास बात की दिल्ली के चीफ फायर ऑफिसर विपिन केंटल से…
अली अब्बास नकवी – मुंबई में हादसे के बाद दिल्ली में कोई असर पड़ा?
विपिन केंटल – जी हा.. क्यों नहीं पड़ा असर.. बहुत असर पड़ा है.. आखिर देश की राजधानी दिल्ली है… कहीं भी कुछ हो उसका सीधा असर दिल्ली में ही होता है.. और दिल्ली में भी हुआ है…
अली – दिल्ली में आपने क्या सख्त कदम उठाए उस हादसे के बाद.. क्या आप पब में एक्सिट डोर समेत सावधानियां देख रहे हैं..
विपिन – हम लाइसेंस ही सिर्फ जब देते हैं जब हमें पूरी तरह से यकीन हो जाता है कि पब, रेस्टोरेंट में आपातकालिन एक्सिट है, या वो आपातकाल स्थिति से निपटने के लिए तैयार होंगे … ये सभी चीज़े देखकर ही हम लाइसेंस दिलवाते हैं… हमारा मकसद सिर्फ और सिर्फ आम जनता को सुरक्षा प्रदान करना है.. साथ ही हम कई जगहों पर निरक्षण कर रहे हैं और देख रहे हैं कि अगर हमें कहीं भी असुरक्षा नज़र आती है तो हम उस पब, रेस्टोंरेंट आदि के मालिक को नोटिस देते हैं..
अली – अभी दिल्ली में कितनी फायर बिग्रेड की गाड़ी हैं? और अभी कितनी जुडेंगी?
विपिन- अभी तकरीबन दिल्ली में 310 फायर बिग्रेड की गाड़ियां हैं, जो पूरे दिल्ली में हैं.. और वित्तीय वर्ष से पहले तक 60 गाड़ियां और शामिल हो जाएंगी।
अली – टू व्हिलर पर भी फायर बिग्रेड की सेवा देने की योजना बनी थी उसका क्या हुआ?
विपिन – जी हां.. वो एक पायलट योजना थी.. उसपर भी बात चल रही है… लेकिन उसमें सबसे बड़ी बात ये होगी कि उसमें कितना पानी लेजाया जाए.. जिसकी वजह से अभी ये नहीं पास हो पाया है… क्योंकि दोपहिया फायर बिग्रेड पतली गलियों में जाने के लिए तो अच्छा विक्लप है लेकिन उसमें पानी की मात्रा ज्यादा नहीं हो पाएगी.. हमें बड़ी गाड़ियों से ही पानी कम पड़ जाता है कभी..
अली – क्या क्या परेशानियां सामने आती है जब कहीं आग लगती है?
विपिन – सबसे बड़ी परेशानी जाम होती है.. कि किस तरह से आग लगी हुई जगह पर पहुंचा जाए..क्योंकि सड़को पर जाम की वजह से काफी परेशानी होती है.. लेकिन हम अपनी पूरी कोशिश करते हैं कि वक्त पर पहुंच कर आग को बुझाया जाए.. लेकिन कही जगह हम पर ही पत्थर बाज़ी हो जाती है.. और उस वक्त हमारे लिए दो दो चुनौती सामने होती है.. पहली आग बुझाना और दुसरी वहां के लोगों के पत्थरों से बचना..
अली – बेशक बहुत ही जोखिम वाला आपका काम होता है.. उस जोखिम में परिवार की याद आती है?
विपिन – जी.. एक सेना हमारी सुरक्षा करती है.. और एक आग बुझाने वाले हमारे कर्मी होते हैं… हमारे लिए हर दिन देशवासियों की सुरक्षा करनी होती है..घर वाले भी चिंतित रहते है कि कब तक हम घर पहुंचेगे… जब तक हम घर न पहुंचे उनकी भी आंखे हमारा इंतेज़ार करती रहती है.. लेकिन जिस तरह से सैनिक देश के प्रति अपनेी सेवा देते रहते हैं उसी तरह हम अपने नागरिकों को सुरक्षा देते रहते हैं.. और ये ही हमारा प्रथम कर्तव्य है..
जय हिंद