Saturday, September 30, 2023
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बीजेपी सांसद हुकुम सिंह का निधन, ग़म का माहौल हुआ

कैराना से बीजेपी सांसद हुकुम सिंह का नोएडा के जेपी अस्पताल में निधन

शामली मुज़फ़्फ़रनगर के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में छाई शोक की लहर

ज़ीशान अली -मुजफ्फरनगर-  3 फरवरी जिले व निकटवर्ती जनपद शामली , केराना के लोकप्रिय नेता और भारतीय राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ रखने वाले बीजेपी सांसद पूर्व मंत्री बाबू हुकम सिंह के निधन से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर छाई हुई है. उनका आज कुछ देर पहले नोएडा के जेपी अस्पताल में निधन हो गया है.

 

_ बीजेपी सांसद पिछले काफी दिनों से बीमार चल रहे थे, कैराना लोकसभा सीट से सांसद हुकुम सिंह के निधन की खबर सुनते ही जनपदवासियों में शोक की लहर दौड़ पड़ी, उनके घर समर्थकों का पहुंचना शुरू हो गया है

सांसद हुकुम सिंह की तबीयत

 

कुछ समय से खराब चल रही थी. पहले भी उन्हें कई दिन तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा था. सांस लेने में दिक्कत बढ़ने की वजह से उनके परिवार के लोगों ने उन्हें नोएडा स्थित जेपी हॉस्पिटल में भर्ती कराया था, जहां उनका इलाज चल रहा था।_ मालूम हो

हुकुम सिंह का जन्म 5 अप्रैल 1938 को हुआ था, बचपन से ही वह पढ़ाई में काफी होशियार थे. कैराना में इंटर की पढ़ाई के बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें इलाहाबाद विश्वविद्यालय भेजा गया, वहां पर हुकुमसिंह ने बीए और एलएलबी की पढ़ाई पूरी की।_ वह जिला बार संघ मुजफ्फरनगर के सदस्य भी रहे हैं और एक अच्छे अधिवक्ता तथा नेता के रूप में उनकी गिनती रही है

उनके राजनीति के सफर की शुरुआत 1974 में हुई. जब उन्होंने इलाके के जन आंदलनों में हिस्सा लिया और लोकप्रिय होते चले गए, उनकी लोकप्रियता के चलते 1974 में ही कांग्रेस और लोकदल दोनों ने उनके सामने अपनी पार्टी से चुनाव लड़ने की पेशकश कर दी. हुकुम सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. इसके बाद हुकुम सिंह उत्तर प्रदेश की विधानसभा के पहली बार सदस्य बने।_

_ 1980 में उन्होंने लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़ा और इस पार्टी से भी चुनाव जीत गए. तीसरी बार 1985 में भी उन्होंने लोकदल के टिकट पर ही चुनाव जीता और इस बार वीर बहादुर सिंह की सरकार में मंत्री भी बनाए गए, बाद में जब नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने हुकुम सिंह को राज्यमंत्री के दर्जे से उठाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया।

बाबूहुकुम सिंह को 1981-82 में लोकलेखा समिति का अध्यक्ष भी बनाया गया, 1975 में उत्तर प्रदेश कांग्रेस समिति के महामंत्री भी बने, 1980 में लोकदल के अध्यक्ष भी बने और 1984 में वे विधानसभा के उपाध्यक्ष भी रहे. 1995 में हुकुमसिंह ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और चौथी बार विधायक बने. कल्याण सिंह और रामप्रकाश गुप्ता की सरकार में वे मंत्री रहे।_

_वर्ष 2007 में हुए चुनाव में भी वे विधानसभा पहुंचे. 2014 में भाजपा के टिकट पर गुर्जर समाज के हुकुम सिंह ने कैराना सीट पर पार्टी को विजय दिलाई. इस लोकसभा चुनाव में पार्टी को उत्तर प्रदेश में अभूतपूर्व सफलता मिली.  लेकिन वह मोदी सरकार में मंत्री नहीं बन पाए . विगत विधानसभा चुनाव में  उनकी पुत्री  चुनाव नहीं जीत पाई , बाबू हुकम सिंह की सभी वर्गों में खास पहचान व पकड़ रही है मेरी उनसे लगभग 28 वर्ष से घनिष्ठ संबंध है और महत्वपूर्ण पदों पर आसीन होने के दौरान उनके घर पर उनके साथ कई बार वार्ता करने का अवसर मिला निसंदेह भारत विशेषकर पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति का एक अहम किरदार दुनिया को अलविदा कह चुका है बार और बेंच परिवार उनके निधन पर गहरा दुख जताते हुए उनकी आत्मा की शांति  के लिए अल्लाह से दुआ और शोकाकुल परिवार के लिए सांत्वना देने की प्रार्थना करता है

 

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