समाज से मेरा एक सवाल:
कोरोना वायरस ने दुनिया को हिला कर रख दिया है पत्रकारों द्वारा कोरोना वायरस महामारी के दौरान पिछले एक महीने से कवरेज की जा रही है क्या इस कवरेज के दौरान किसी भी लीडर या प्रशासन ने किसी पत्रकार को बुला कर पूछा की आपको किसी चीज की जरूरत तो नही? क्या प्रशासन या किसी संस्था की तरफ से किसी पत्रकार को मास्क, गलवज, सेनिटाइजर दिया गया? जो कवरेज के दौरान पत्रकार अपनी सेहत का ध्यान रख सकें?
किसी सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं की तरफ से पत्रकारों को किसी प्रकार की कोई सहायता की पेशकश की गई हो या किसी बड़े अधिकारी या बड़े नेता का फ़ोन आया हो? जब इन संस्थाओं को पत्रकार की जरूरत होती है, अपना नाम चमकाने की ज़रुरत होती है तो तुरंत पत्रकार को फ़ोन कर देते हैं. और पत्रकार उसको चमकाने के लिए निकल पड़ते हैं.
इस भयानक महामारी के दौरान आज भी पत्रकार को अगर किसी का फ़ोन आ जाये तो वह तुरंत अपने हाथ में कैमरा, माइक आईडी, अपना रिपोटिंग का सामान लेकर गले में बेग लटका कर अपने दो पहिया वाहन पर इस सोच में निकल पड़ता है के उसको मेरी जरूरत है लेकिन पत्रकार की जरूरत के लिए शायद कोई भी सोचने वाला नही है.
क्या पत्रकार का परिवार नही है? जब वह घर से निकलता है, जबतक वापस घर नही जाता है तब तक उसके परिवार वाले उसका इंतजार नही करते? वह सारा दिन किसी दूसरे की सहायता के लिए अपना खुद का दुख दर्द भूल कर वह दूसरे की सहायता के लिए आगे रहता है. मगर कभी उपखण्ड, क्षेत्रीय प्रशासन, जनप्रतिनिधियों ने कभी पत्रकारों की कोई समस्याओं को जाना है कि उसकी कोई समस्या तो नही? पत्रकार भी प्रशासन के साथ रात दिन अपना कर्तव्य निभा रहा है. इस तपती गर्मी में भी आपको पत्रकार फील्ड में नजर आएगा.
सबकी समस्या प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से राज्य सरकार केन्द्र सरकार और प्रशासनिक अधिकारी तक आपकी आवाज़ को पहुचाते है. मगर पत्रकार की समस्या को कोई समझ ने वाला नही. प्रशासन और जनप्रतिनिधि ,संस्थाओं को भी टाइम निकाल कर अपने क्षेत्र के पत्रकारों से वार्ता कर पत्रकारों के दुःख दर्द को समझना चाहिए. जिससे पत्रकारों का भी मनोबल बढ़ा रहे. कि हमारे साथ प्रशासन, जनप्रतिनिधि, संस्थान भी है. अगर पत्रकार हर स्थिति में आपके साथ है तो आप भी पत्रकारों के साथ रहे. आप का अपना पन ही पत्रकारों का मान सम्मान है.
पत्रकार हमेशा संघर्ष करते आये है वह अपने कार्य मे रात दिन सर्दी ,गर्मी ,बरसात सभी मौसम में वह मैदान में अपने कार्य को करता नजर आया है. वह क्षेत्र की सेवा के लिए हमेशा मैदान/फील्ड में मिलता है. पत्रकार को आपका पैसा नहीं प्यार चाहिए, सम्मान चाहिए.