Sunday, September 24, 2023
No menu items!
Homeइंसानियत के रखवालेअल्पसंख्यको पर आक्रमण, फिर भी धर्मनिरपेक्ष देश है भारत 

अल्पसंख्यको पर आक्रमण, फिर भी धर्मनिरपेक्ष देश है भारत 

लखनऊ: भारत में ना जाने कितने धर्म हैं , कम से कम 7 तो मुख्य धर्म हैं हीं और कबीले और तथा अन्य सुदूर जंगल और पर्वतों के रहने वालों के लोगों के अलग अलग सैकड़ों देवता और उनके उतने ही धर्म , जिस भारत में 50 किमी के अन्तर पर बोली और संस्कृति बदल जाती है उसी भारत में इस्लाम भी उन तमाम धर्मों में एक है।

 

महत्वपुर्ण बात यह है कि “टीवी मीडिया” से लेकर गली चौराहों तक सभी के आक्रमण के केन्द्र में केवल और केवल “इस्लाम” है , शेष धर्मों पर या उनके मानने वालों की कमियों पर कोई बहस नहीं होती बल्कि सुबह शाम हर चैनल पर बाबा लोग या तो “दोष दूर करते दिखेंगे या अपने धर्म का प्रचार करते दिखेंगे” शेष धर्म को इस देश में यह सुविधा नहीं है।

.

कभी टीवी चैनलों या समाचार पत्रों में आपने किसी अन्य धर्म के प्रति ऐसा नकरात्मक प्रचार युद्ध देखा है ? बहस ? चर्चा ? नहीं देखा होगा।

खैर , यहीं तक यह दोगलापन नहीं है।

मुस्लिम बहुल देशों में सत्ता के लिए होते गृहयुद्ध से लेकर किसी मुस्लिम व्यक्ति के व्यक्तिगत कुकर्म को पूरी दुनिया समेत भारत में भी “इस्लाम” को ही ज़िम्मेदार बना दिया गया।

.

पंजाब दशकों तक आतंकवाद में जला पर किसी एक ने भी इस आतंकवाद का जिम्मेदार “सिख धर्म” को नहीं माना , तमिलनाडु और श्रीलंका तो दुनिया के पहले आतंकवादी संगठन “लिट्टे” के आतंक से 2 दशक तक पीड़ित था परन्तु किसी ने इस आतंकवाद के लिए सनातन धर्म को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया।

.

ऐसे ही अन्य धर्म के बहुल क्षेत्रों में होती हिंसक लड़ाईयों के लिए भी कभी उस धर्म को जिम्मेदार मानकर कोसा नहीं गया , गालियाँ नहीं दी गयीं।

अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम गिराया तो वहाँ भी इसका ज़िम्मेदार किसी धर्म को नहीं माना गया , दो दो विश्व युद्ध हुए तो भी किसी ने इसके लिए किसी धर्म को ज़िम्मेदार नहीं माना।

.

अमेरिका ने वियतनाम को बर्बाद कर दिया तो उसके लिए भी किसी धर्म को ज़िम्मेदार नहीं माना गया।

हिटलर ने जितना यहूदियों को मारा वह उसके धार्मिक चिढ़ के कारण ही था फिर भी किसी ने ऊसके धर्म को इसका ज़िम्मेदार नहीं माना l

.

पूरी दुनिया के विभिन्न हिस्सों में होती घटनाएँ वहाँ की राजनैतिक और सामाजिक समस्या के कारण होती है उसे कोई वहाँ के धर्म के कारण उसे ज़िम्मेदार नहीं मानता।

.

सब तो छोड़िए अपने पड़ोस के नेपाल में वहाँ के राजा समेत पूरे खानदान की हत्या एक व्यक्ति कर देता है तो किसी ने यह नहीं कहा कि “सनातन धर्म की शिक्षा ऐसी है कि खून खराबा हो।”

परन्तु किसी मुसलमान के पैर से एक चूँटी भी दब कर मर जाए तो उसका ज़िम्मेदार “इस्लाम” होता है । जानते हैं क्युँ ?

.

पूरे मीडिया और सोशलमीडिया पर यहूदियों का दबदबा , पूरे अमेरिकी सिस्टम में यहूदियों की मौजूदगी और यहूदियों की इस्लाम से चिढ़।

यहूद मीडिया ने अपने प्रचार तंत्र से ऐसा वातावरण बना दिया है कि पूरी दुनिया की सभी हिंसा और समस्याओं की जड़ “इस्लाम” है।

मज़ेदार बात यह है कि 11 सितम्बर 2001 के पहले ऐसी स्थिति बिल्कुल नहीं थी , इस्लाम उनके लिए एक शांतीप्रिय धर्म था , सभी देशों के लिए।

फिर ओसामा को पैदा किया गया और उसके बाद बगदादी को और इनके सहारे इस्लाम पर आक्रमण किया गया और किया जा रहा है।

.

यही खेल भारत में भी खेला जा रहा है , यहूद नस्ल की ब्राम्हणवादी मालिकान वाली मीडिया हाऊस का इस्तेमाल इस्लाम के विरुद्ध झूठे प्रोपगंडे को फैलाने के लिए किया जा रहा है , दैनिक जागरण , अमर उजाला , राजस्थान पत्रिका , दैनिक भास्कर इत्यादि सभी समाचार पत्रों के साथ साथ आजतक , एबीपी न्यूज़ , ज़ी न्यूज़ और विशेषकर सुदर्शन न्यूज़ तो खुले रूप में इस काम में लगा हुआ था और उसका मालिक चौहाणके तो आनलाइन “मुसलमानों को ” कुत्ता सुअर बोलता था।

उसकी गिरफ्तारी इसी लिए एक कट्टर हिन्दूवादी मुख्यमंत्री योगी जी को फिलहाल निष्पक्ष बनाती है।

इस्लाम के मानने वालों में कमियाँ हैं और होती हैं तो उसका ज़िम्मेदार वह मुसलमान है ना कि “इस्लाम” , जैसे “आसाराम” “नित्यानंद , भीमानंद , रामपाल इत्यादि इत्यादि अपने कुकर्मों के लिए खुद ज़िम्मेदार हैं ना कि उनका सनातन धर्म।

.

इस्लाम को कोई ठीक से फालो नहीं कर रहा है तो इसका दोषी वह फालो करने वाला है ना कि इस्लाम , परन्तु इस देश सहित पूरी दुनिया में ऐसे किसी एक व्यक्ति के गलत कामों का दोष इस्लाम को ठहरा कर कोसा जाता है आक्रमण किया जाता है , जबकि और धर्म के लोग यदि अपना धर्म ठीक से नहीं मानते तो यह कोई मुद्दा ही नहीं बनता ।

.

एक ताज़ा उदाहरण देखिए

“तीन तलाक” को इस्लाम में व्याख्या करके स्पष्ट किया गया है कि यह 3 मासिक चक्र आधारित चरणबद्ध प्रक्रिया है और इसको इस तरह अपना कर अपने दुखी कष्टपुर्ण मौजूदा वैवाहिक जीवन को समाप्त करके आगे का जीवन जी सकते हैं।

तो इस्लाम के कुछ , 2-4 मानने वाले इसका गलत इस्तेमाल भी करते होंगे , एक साथ धड़ल्ले से तीन तलाक कहकर अपना वैवाहिक संबन्ध तोड़ लेते होंगे , करते ही हैं , तो दोष दरअसल उनका है जो गलत इस्तेमाल करते हैं ना कि “तलाक” के इस्लामिक सिद्धान्त का , परन्तु इसके लिए कोसा किसे जाता है ?

आक्रमण किस पर किया जाता है ?

इस्लाम पर

अब आइए एक दूसरी स्थिति देखिए

सनातन धर्म में विवाह 7 जन्मों का संबन्ध होता है इसीलिए “अग्नि” को साक्षी मानकर 7 फेरे लगाए जाते हैं , परन्तु इसी भारत में 7 जन्म तो छोड़िए इसी जीवन में ही , ना जाने कितने लोग यह संबन्ध तोड़ देते हैं , पत्नी को जला कर , लटका कर मार देते हैं बेसहारा छोड़ देते है।

 

 

यह भी उनके धर्म के वैवाहिक सिद्धान्त को ना मानने का एक उदाहरण हुआ क्युँकि सनातन धर्म में वैवाहिक संबन्ध तोड़ने का कोई विकल्प नहीं है फिर भी लोग तोड़ते ही हैं और भारत में वैवाहिक संबन्ध तोड़ने का किसी अन्य धर्म के लोगों की अपेक्षा सनातन धर्म के लोगों का प्रतिशत सबसे अधिक है।

किसी ने इसके लिए सनातन धर्म की वैवाहिक व्यवस्था को कोसा ?? वेद पुराण को कोसा ? गालियाँ दीं ? नहीं दी होंगी। पक्का ।

.

यही है दोगलापन , मुसलमान यदि अपने धर्म को सही तरह से फालो ना करे तो दोष इस्लाम का और दूसरे धर्म के लोग ऐसा करें तो वह उनका अपना कुकर्म।

 

 आज इस्लाम विश्व का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments