अली अब्बास नकवी – जी हां, कश्मीर में ज़रूर अलगाववादी लोगों के इशारे पर कुछ लोग अपने वतन से मोहब्बत भूल गए हो.. लेकिन देश के खातिर मर मिटने वालों में करगिल का खादिम हुसैन भी है.. खादिम स्वामी श्रृद्धानंद कॉलेज में बीएससी का छात्र है.. साथ ही साथ कॉलेज के एनसीसी विंग में भी है…खादिम ने कॉलेज के उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने का इरादा किया.. और जैसे ही नॉमिनेशन भरने के लिए वो जाना चाह रहा था तो उसके दोस्त ने खादिम को किडनेप करने की भी कोशिश की.. लेकिन खादिम ने हार नहीं मानी, और खादिम ने चुनाव के लिए पूरा ज़ोर लगा दिया.. खादिम को एक के बाद धमकियां भी मिलने लगी कि वो चुनाव ना लड़े, वो एक कश्मीरी है.. कश्मीरी गद्दार होते है… लेकिन खादिम ने उन सब की एक ना मानी.. और उसने उन लोगों को दिखाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया.. और कैंपेन चलाया..खादिम का मानना था कि जिस तरह से हम लोगों को गलत निगाह से देखा जा रहा है उस चीज़ को दूर किया जाए.. खादिम का कहना है कि इस्लाम हमेंशा वतन से मोहब्बत करने की सीख देता है.. जो लोग वतन से मोहब्बत नहीं करते वो मोहम्मद साहब के रास्ते पर नहीं चलते हैं.. मोहम्मद साहब ने हमेशा वतन से वफादारी करने की शिक्षा दी है.. और उसी रास्ते पर हम चल रहे हैं.. जो लोग हिंदुस्तान में रहकर हिंदुस्तान से मोहब्बत नहीं करते है वो ही देश में अशांति फैलाना चाहते हैं.. खादिम ने अपनी इसी इंसानियत की सोच को आगे बढ़ाते हुए अपने कॉलेज के वाइस प्रेसिडेंट के चुनाव में जीत हासिल की.. और विरोधियों को एक सबक भी देके चले गए.. खादिम ने सभी साथियों, दिल्ली पुलिस, इलेक्शन ऑफिसर्स और हर उस शख्स का शुक्रिया अदा किया जिसने खादिम को चुनाव लड़ने में साथ दिया..
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यहीं नहीं खादिम जैसे ना जाने कितने मुस्लिम युवक हैं जो देश के उच्च पदों पर तैनात है.. लेेकिन जिस तरह से कुछ कश्मीरी लोगों की वजह से पूरे कश्मीरी लोगों को बदनाम किया जाए ये गलत है…