नौगावां सादात। नगर के मोहल्ला दौलत शहीद इमाम स्थित इमाम बारगाह में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी अंजुमन सोग्वारे हुसैनी के नेतृत्व में एवं मोमनीने नौगावां सादात की तरफ से अशरा ए अरबायीन की सालाना मजलिस का आयोजन लगातार जारी है।
इमाम बारगाह दौलत शहीद में हिलाल मेहदी ने तिलावत ए कलामे पाक की उसके बाद मास्टर हसनैन अख्टर व हुसैन अब्बास ने मर्सिया पढ़ा। मजलिस को संबोधित करते हुए शिया धर्मगुरु मौलाना अलीम आरफी मुज़फ्फरनगरी ने कहा कि सन् 60 हिजरी की बात है। मोहम्मद साहब के दुनया से पर्दा करने के लगभग 50 वर्ष बाद मक्का से दूर कर्बला के गवर्नर यजीद ने खुद को खलीफा घोषित कर दिया। यजीद इस्लाम का शहंशाह बनना चाहता था। इसके लिए उसने आवाम में खौफ फैलाना शुरू कर दिया। लोगों को गुलाम बनाने के लिए वह उन पर अत्याचार करने लगा। यजीद पूरे अरब पर कब्जा करना चाहता था लेकिन उसके सामने हजरत मुहम्मद के वारिस और उनके कुछ साथियों ने यजीद के सामने अपने घुटने नहीं टेके और जमकर मुकाबला किया।
अपने बीवी बच्चों की सलामती के लिए इमाम हुसैन मदीना से इराक की तरफ जा रहे थे तभी रास्ते में यजीद ने उन पर हमला कर दिया। इमाम हुसैन और उनके साथियों ने मिलकर यजीद की फौज से डटकर सामना किया। हुसैन लगभग 72 लोग थे आखिरी मे कर्बला की दर्दनाक घटनाओं का वर्णन किया और तमाम अजादारों के आंसू छलक पड़े। मजलिस के बाद हसन हैदर व आफ़ताब हैदर ने नौहा मातम पेश किया। अंजुमन के सचिव हैदर मेहदी, करीम हैदर, अली मन्ज़र, मौलाना ज़फर मेहदी, निहाल आलम नौगावी,अली अनसर, तासीर हैदर आदि लोग मौजूद रहे।