नई दिल्ली। देश में मोदी सरकार बनने के बाद जिस तरह से लगातार लोगों की नौकरियां जा रही हैं उससे कई सारे सवाल खड़े हो गए हैं। अब खबर आ रही है कि आईटी सेक्टर में आने वाले तीन सालों में लगभग 6 लाख लोगों की नौकरियां जा सकती हैं। आईटी सेक्टर में अगले तीन सालों तक हर साल 1.75 लाख से 2 लाख कर्मचारियों की छंटनी हो सकती है। इसका कारण नई टेक्नोलॉजी के साथ तालमेल न बैठा पाना बताया जा रहा है।
देश की बड़ी आईटी कंपनियां इन्फोसिस, टेक महिंद्रा और विप्रो इस साल परफॉर्मेंस रिव्यू का बहाना बनाकर छंटनी की तैयारी कर रही है। हेड हंटर्स इंडिया के फाउंडर-चेयरमैन और एमडी के. लक्ष्मीकांत ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इस साल 56 हजार से ज्यादा आईटी प्रोफेशनल्स की जॉब जा सकती है। आने वाले तीन सालों के भीतर छटनी का आंकड़ा 1.75 लाख से 2 लाख सालाना होगा।
के. लक्ष्मीकांत ने कहा कि मैकेंजी एंड कंपनी की तरफ से नैसकॉम इंडिया लीडरशिप फोरम में सौंपी गई रिपोर्ट के मुताबिक अगले 3 से 4 सालों के भीतर आईटी सेक्टर की आधी से ज्यादा वर्कफोर्स व्यर्थ हो जाएगी। मैकेंजी इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर नोशिर काका ने भी कहा कि आने वाले समय में टेक्नोलॉजी में बड़ा बदलाव होने वाला है। ऐसे में आईटी कंपनियों के सामने ये सबसे बड़ी चुनौती है कि वह 50 से 60 फीसदी वर्कफोर्स को अपडेट बनाए रख सकें।
लक्ष्मीकांत के मुताबिक टेक्नोलॉजी के बदलने का सबसे ज्यादा असर उन आईटी प्रोफेशनल्स पर होगा, जो 35 या उससे ज्यादा की उम्र के हैं। इसके बाद उनके लिए नौकरी हासिल करना काफी मुश्किल हो जाएगा। बता दें कि विप्रो, इन्फोसिस और टेक महिंद्रा परफॉर्मेंस रिव्यू कर रही हैं। इन कंपनियों ने मिड लेवल के कर्मचारियों की छटनी की तैयारी कर ली है। ऐसे में जिस कर्मचारी की परफॉर्मेंस बेहतर नहीं होगा, उसकी छटनी हो सकती है।
लक्ष्मीकांत ने कहा कि आईटी इंडस्ट्री में 39 लाख से भी ज्यादा लोग काम करते हैं और इनमें से काफी लोगों को बनाए रखने की जरूरत होती है, लेकिन सच ये है कि 30 से 40 फीसदी वर्कफोर्स को नई टेक्नोलॉजी के हिसाब से ढाला नहीं जा सकेगा। लक्ष्मीकांत ने कहा कि ऐसे में मान लें कि वर्कफोर्स का आधा हिस्सा जो पुरानी टेक्नोलॉजी के सहारे काम करेगा, वह आने वाले सालों में व्यर्थ हो जाएगा। उनके मुताबिक आने वाले सालों में 5 से 6 लाख प्रोफेशनल्स आईटी सेक्टर के काम नहीं आ पाएंगे। औसतन अगले तीन साल तक हर साल 1.75 लाख से 2 लाख लोगों की छंटनी होगी।