V.o.H News: (शहजाद आब्दी) नौगावां सादात: नगर पंचायत में चहेतों को लाभ पहुचाने जैसी कवायदों पर नकेल कसने के लिए सरकार भले ही ई-निविदा के दावे कर रही हो, परन्तु ये दावे अमल में नहीं आ रहे है। नौगावां नगर पंचायत में आज भी ई- निविदा सिस्टम लागू करने में कोई भी रूचि नहीं ली जा रही है यहाँ करोड़ो रूपये के काम वही पुराने घिसे पिटे सिस्टम से दे दिए जाते है चर्चा है कि ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत से ठेका पहुंच रखने वालों को ही मिलता है। पहुंच रखने वाला व्यक्ति ही निविदा डाल पाता है।
जबकि यूपी सरकार ने 1 मई 2017 को कैबिनेट मीटिंग में सभी विभागों के ठेके के लिए ई-टेंडरिंग को जरूरी बताते हुए इस प्रक्रिया को तीन महीने के अंदर लागू करने के निर्देश भी दिए थे। सरकार ने यह अलग-अलग विभागों में ठेका देने में होने वाले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए यह फैसला लिया था परन्तु ऐसा लगता है कि सरकार के फैसले से नगर पंचायत नौगावां सादात के अधिकारीयों को कोई फर्क नहीं पड़ता उन्हें तो अपनी मनमानी करनी है ।
क्या है ई टेंडरिंग प्रक्रिया
पहले सामान्य तौर से निविदापत्र को भर कर सीलबंद लिफाफे में बंद करके उसको निविदा बक्से में डालना होता था। एक निर्धारित समय के बाद जब इस बक्से को खोला जाता था, तो उसमें जिस भी फर्म की ओर से सबसे कम राशि काम को करने के लिए अंकित की जाती थी, उसको टेंडर दे दिया जाता था। मगर इस मैनुअल सिस्टम में जम कर धांधलियां की जाती थीं। ठेकेदारों का सिंडिकेट नए लोगों को टेंडर डालने ही नहीं देता था इसलिए अब ई-टेंडरिंग को राज्य सरकार ने शुरू किया है जिसमें पूरी टेंडर प्रक्रिया ऑनलाइन होती है। सबंधित विभाग की वेबसाइट पर जाकर टेंडर की सारी प्रक्रियाओं को एक फार्म भरने की तरह पूरा करना होता है। निविदा शुल्क (टेंडर फीस) के भुगतान और धरोहर राशि (ईएमडी) के भुगतान व वापसी की प्रक्रिया भी भौतिक प्रारूप में न करके ऑनलाइन व्यवस्था के माध्यम से की जाती है। ई-प्रोक्योरमेंट के तहत बिड्स व डाटा की गोपनीयता, सुरक्षा और अनुरक्षण का दायित्व एनआईसी का होता है। ई-प्रोक्योरमेंट प्रणाली में नियमों व प्रक्रियाओं में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है, अपितु वर्तमान नियमों और प्रक्रियाओं के अन्तर्गत ही केवल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का उपयोग करते हुए टेंडरिंग की कार्यवाही की जाती है।
ई-टेंडरिंग के फायदे
जानकारों का मानना है कि लोगो को उचित जानकारी समय पर उपलब्ध न होने से भ्रष्टाचार बढ़ता है। सारी जानकारी फाइलों में दबी होती है और भ्रष्टाचार का सारा खेल यहीं से शुरू होता है। ई-टेंडरिंग व्यवस्था से काम में पारदर्शिता आई है। भ्रष्टाचार और आरोप-प्रत्यारोप लगने की गुंजाइश भी कम हुई है ।
पहले सभी विभागों से निविदाएं आमंत्रित की जाती थीं। इसमें होता ये था कि ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत से ठेका पहुंच रखने वालों को ही मिलता था। पहुंच रखने वाला व्यक्ति ही निविदा डाल पाता था।