रिपोर्ट: शहजाद आब्दी यहाँ क्लिक कर हमारा फेसबुक पेज लाइक करें
अंग्रेज़ों से लड़ी गई पहली जंगे आज़ादी 1857 में नौगावाँ सादात में भी काफ़ी जोश था और यहाँ की जनता भी अपने देश को हर क़ीमत पर अंग्रेज़ों के ज़ुल्म से निजात दिलाना चाहती थी और हुआ भी यही के यहाँ के 18 सपूतों ने अपनी जान की बाज़ी लगा कर अंग्रेज़ों से अपने वतन को आज़ाद कराने के लिए जंगे आज़ादी में शिरकत की और अपने नाम तारीख़ में सुनहरे लफ़ज़ों से लिखवा लिए, नौगावाँ सादात के ये जांबाज़ देश की आज़ादी के लिए मुहल्ला शाहफ़रीद में जलसा कर रहे थे।
जिसकी ख़बर अंग्रेज़ों को हो गई और अंग्रेज़ी दस्ता मुहल्ला शाहफ़रीद नौगावाँ सादात आ पहुँचा आज़ादी के मतवाले अलग अलग पनाहगाहों में छुप गए, अंग्रेज़ों ने तलाशी अभीयान चला कर 25 जांबाज़ों को पकड़ लिया और मुरादाबाद ले गए, कुछ लोगों को बेद की सज़ा देकर छोड दिया गया, कुछ को ज़मानत पर रिहा कर दिया गया और 18 लोगों को जेल में रख कर मुक़दमा चलाया गया और बग़ावत के इलज़ाम में फ़ाँसी की सज़ा सुनाई गई, और रामगंगा किनारे दमदमा की कोठी के पास फ़ाँसी पर लटका दिया गया और शहीदों के वारिसों को इनकी लाशें भी नहीं दी गईं बलकि वहीं पर दफ़न कर दिया गया, चलाए गए मुक़दमे की तारीख़ और फ़ाइल न0 इस तरह हैः फ़ाइल न0 536, 30-10-1858, फ़ाइल न0 577, 04-11-1858, फ़ाइल न0683, 29-12-1858, इन 18 लोगों की फ़ाँसी से नौगावाँ सादात में हर तरफ़ कोहराम मच गया और बेचैनी फ़ैल गई, और लोग अपने अपने घर छोड़ कर महफ़ूज़ जगहों पर चले गए,
पर अफोस की बात यह है कि भारत को आजाद हुए 70 वर्ष बीत गए पर
किसी राज्य सरकार और न किसी केन्द्र सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शहीद इन जांबाजो को कुछ नहीं दिया। नौगावां सादात के वीरों ने अंग्रोजो के होश उड़ा दिए थे।1857 के गदर के बाद अंग्रेजों ने देश के क्रांत्रिकरियो को ढूंड- ढूंड गिरफ्तार करने लगे और 19 दिसम्बर 1858 को मुरादाबाद की दमदमा कोठी में नौगावा सादात (अमरोहा) उत्तर प्रदेश के 18 वीर शहीदों को फांसी देकर शहीद कर दिया गया वीर शहीदों के नाम इस प्रकार हैं
सैय्यद सज्जाद अली, सैय्यद ख़ादिम अली, सैय्यद बदर अली, सैय्यद चिराग़ अली, सैय्यद जवाहर अली, सैय्यद नज़र अली, सैय्यद वज़ीर अली, सैय्यद हिदायत अली, सैय्यद असग़र अली, सैय्यद उमोराउअली, सैय्यद मीर इनायत अली, सैय्यद निसार अली, सैय्यद आग़ा मीर, सैय्यद इमदाद अली, सैय्यद फ़रहत अली, करीमुल्लाह, रहीमुल्लाह, वज़ीरा