मिस्र के प्रमुख समाचार पत्र अल बदील ने सम्पादकीय लिखते हुए कहा है कि आले सऊद और अवैध ज़ायोनी राष्ट्र के गुप्त संबंधों के बारे में चर्चाये जारी है, इन दिनों इन संबंधों को सार्वजनिक किये जाने के लिए उचित समय की प्रतीक्षा की जा रही है। हालाँकि आले सऊद और ज़ायोनी लॉबी के निकट आने का बहाना ईरान को बतया जाता है लेकिन वास्तविकता यह है कि आले सऊद ट्रम्प की दूसरे देशों में अधिक हस्तक्षेप न किये जाने की रणनीति से भयभीत हैं क्योंकि ट्रम्प समर्थक नहीं चाहते कि वह आले सऊद के रक्षक के तौर पर काम करें, वह अमेरिका के 9/11 हमलों का स्रोत सऊदी अरब को मानते हैं । अमेरिका के रूप में अपना रक्षक खोने से भयभीत आले सऊद अवैध राष्ट्र की सैन्य क्षमता का लाभ अपने दुश्मनों को डराने के लिए उपयोग करना चाहते हैं जो अवैध राष्ट्र के भी दुशमन समझे जाते हैं ।
आले सऊद ने सअद हरीरी से जबरन इस्तीफ़ा लेकर हिज़्बुल्लाह की संवैधानिक पोज़िशन को कमज़ोर करना चाहा था ताकि अवैध राष्ट्र को इस प्रतिरोधी आंदोलन के विरुद्ध कार्यवाही करने में आसानी हो जाये । कुछ अरब विश्लेषकों का कहना है कि सऊदी अरब के अय्याश युवराज का वही हाल होने वाला है जो ईरान के अंतिम शाह का हुआ था, तो वहीँ कुछ सऊदी अरब को हाल ही में मौत के घाट उतारे जाने वाली लाश की भांति समझते हैं जिस का अंतिम क्रियाक्रम मोहम्मद बिन सलमान के हाथों होना है । सऊदी अरब को हालिया संकटों से निकलना है तो उसे भेदभाव दुसरे देशों में हस्तक्षेप और अन्य देशों में उपद्रव और युद्ध भड़काने से बचना होगा ।