भोपाल। मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन के हिंसक होने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उपवास के बाद अब पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोकसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया बुधवार से राजधानी में सत्याग्रह पर बैठेंगे। उधर, सीएम शिवराज सिंह चौहान किसानों से मिलने के लिए मंदसौर पहुंच गए हैं।
-पार्टी प्रवक्ता जेपी धनोपिया ने बताया कि पार्टी ने बुधवार दोपहर एक बजे शुरू होने वाले 72 घंटे के इस सत्याग्रह के लिए दशहरा मैदान पर सभी तैयारियों को अंजाम दे दिया है। -बुधवार को सिंधिया का सत्याग्रह शुरू होगा, जिसमें सिंधिया के अलावा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अरुण यादव भी शामिल होंगे।
-उन्होंने बताया कि सत्याग्रह में प्रदेश भर से लोग आकर अपनी बात रखेंगे।
-यह पूछे जाने पर कि क्या किसानों के परिजन को सत्याग्रह स्थल पर बुलवाने की पार्टी की कोई योजना है, उन्होंने कहा कि सिंधिया मंगलवार को आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिजन से मिलने मंदसौर गए थे, ऐसे में उन्हें बुलाने की कोई योजना नहीं है।
मृत किसानों के परिजनों से मिलने से रोका
सिंधिया मंदसौर के पिपल्यामंडी में पुलिस गोलीबारी में मारे गए प्रदर्शनकारी किसानों के परिजन से मुलाकात करने जा रहे थे। लेकिन, प्रशासन ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी और जावरा टोल नाके पर ही रोक लिया। इससे नाराज सिंधिया और कांतिलाल भूरिया ने मौके पर धरना आंदोलन शुरू कर दिया। मौके पर मौजूद पुलिस बल की समझाइश के बाद भी जब सिंधिया नहीं माने तो पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।
क्या हैं किसानों की मांगें
-महाराष्ट्र के बाद जून की शुरुआत में मध्य प्रदेश में भी किसानों ने आंदोलन शुरू किया।
-मध्य प्रदेश के किसानों की मांग है कि उन्हें कर्ज माफी दी जाए, फसलों पर मिनिमम सपोर्ट प्राइस मिले, जमीन के बदले मुआवजे पर कोर्ट जाने का हक मिले और दूध के रेट बढ़ाए जाएं।
-सबसे पहले 3 जून को इंदौर में यह आंदोलन हिंसक हो गया था। बाद में मंदसौर, उज्जैन और शाजापुर जैसे राज्य के बाकी हिस्सों में फैल गया।
-मंदसौर में पुलिस की फायरिंग में 6 किसानों की मौत हो गई। इसके बाद यह हिंसक आंदोलन राजधानी भोपाल के पास फंदा तक पहुंच गया।
-इसके बाद शिवराज ने किसानों का मनाने के लिए शनिवार से रविवार तक 28 घंटों का अनशन किया।
मध्य प्रदेश सरकार ने अब तक क्या कदम उठाए?
– सीएम चौहान ने किसानों पर केस खत्म करने, जमीन मामले में किसान विरोधी प्रावधानों को हटाने, फसल बीमा को ऑप्शनल बनाने, मंडी में किसानों को 50% कैश पेमेंट और 50% आरटीजीएस से देने का एलान किया था।
-यह भी कहा था कि सरकार किसानों से इस साल 8 रु. किलो प्याज और गर्मी में समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदेगी। खरीदी 30 जून तक चलेगी।
-सरकार ने यह भी एलान किया था कि एक आयोग बनेगा जो फसलों की लागत तय करेगा। उस पर किसानों को फायदा होने लायक कीमत मिले, यह सरकार सुनिश्चित कराएगी।
मध्य प्रदेश में 19 साल बाद इस तरह का आंदोलन
इससे पहले मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के मुलताई में 1998 में किसानों ने इस तरह का आंदोलन किया था। 12 जनवरी 1998 को प्रदर्शन के दौरान 18 लोगों की मौत हुई थी। दरअसल, मुलताई में उस वक्त किसान संघर्ष मोर्चा के बैनर तले आंदोलन हुआ था। किसान बाढ़ से हुई फसलों की बर्बादी के लिए 5000 रुपए प्रति हेक्टेयर मुआवजे और कर्ज माफी की मांग कर रहे थे। उस वक्त राज्य में कांग्रेस सरकार थी।
आंदोलन की क्या है खासियत?
-पहली बार दो राज्यों के किसान एक साथ आंदोलन के लिए सड़कों पर उतर आए हैं।
चेहरा कोई नहीं है। महाराष्ट्र में आंदोलन किसानों ने शुरू किया। ये विदर्भ या मराठवाड़ा के किसान नहीं हैं, जो सूखे से प्रभावित रहते हैं।
-संकट गेहूं, दाल, चावल उगाने वाले किसानों के अलावा उन पर भी मंडरा रहा है, जो फल-दूध-सब्जी बेचते हैं।