नूरूल अबसार में अबू जाफ़र(इमाम बाक़िर) {अ} से इमाम महदी के ज़हूर की अलामात से रिवायत की गयी है हज़रत ने फ़रमाया:

1- मर्द औरतों से मुशाबेहत इख़्तियार करेंगें और औरतें मर्दों से।
2- औरतें जानवरों पर सवार होगीं।
3- लोग नमाज़ पढ़ना छोड़ देगें।
4- ख़्वाहिशे नफ़्स की पैरवी करेंगें।
5- खून बहाना मामूली बात समझी जायेगी।
6- सूदख़ोरी आम होगी और उसके ज़रीये कारोबार होगा।
7- ज़ेना खुल्लम खुल्ला किया जायेगा।
8- मकानों को मज़बूत बनाया जायेगा।
9-रिश्वत का बाज़ार गर्म होगा।
10- लोग झूट को हलाल क़रार देंगें।
11- ख़्वाहिशाते नफ़्सानी की पैरवी करेंगें।
12- दीन को दुनिया के बदले फ़रोख़्त कर देंगें।
13- क़त ए रहम करेगें।
14- हिल्म व बुर्दबारी को कमज़ोर समझा जायेगा।
15- ज़ुल्म पर फ़ख्र किया जायेगा।
16- उमारा फ़ासिक़ होगें।
17- वोज़ारा झुटे होगें और अमीन ख़्यानतकार।
18- मददगार ज़ालिम होगें और क़ारी फ़ासिक़।
19- ज़ुल्म ज़्यादा होगा।
20- तलाक़ें ज़्यादा होगीं।
21- ज़ालिम की शहादत को क़बूल किया जायेगा।
22- शराब आम होगी।
23- मुज़क्कर मुज़क्कर पर सवार होगा।
24- औरतें औरतों को काफ़ी समझेगीं।
25- फ़ोक़ारा के माल को दूसरे लोग ख़ायेगें।
26- सदक़ा देने को नुक़सान ख़्याल किया जायेगा।
27- शरीर लोगों की ज़बानों से लोग डरेगें।
28- सुफ़यानी शाम से ख़ुरूज़ करेगा।
29- मक्के व मदीने के दरमियान मक़ामे बैदा में तबाही वाक़े होगी।
रुक्न व मक़ाम के दरमियान आले मुहम्मद का एक जवान क़त्ल किया जायेगा। और आसमान से निदा देने वाला निदा देगा कि हक़ इमाम महदी(अ)और उनके चाहने वालो के साथ है और जब महदी ज़हूर करेगें तो अपनी पुश्त को काबा से टेक लगाये हुए होगें।
और आप के चाहने वालो में से 313 अफ़राद आपके गिर्द जमा हो जायेगें। सबसे पहले आप इस आयत की तिलावत फ़रमायेगें:
بَقِيَّةُ اللّهِ خَيْرٌ لَّكُمْ إِن كُنتُم مُّؤْمِنِينَ
फिर आप फ़रमायेगें मैं بَقِيَّةُ اللّهِ और उसका ख़लीफ़ा और तुम लोगों पर ख़ुदा की हुज्जत हूँ। जो शख़्स भी आप पर सलाम करेगा इस तरह कहेगा।
السلام علیک یا بقیة الله فی الارض
और जब आपके पास दस हज़ार अफ़राद जमा हो जायेगें तो कोई यहूदी और नसरानी बाक़ी न रहेगा। और न कोई काफ़िर ही बचेगा। और सबके सब आप पर ईमान लायेगें और तसदीक़ करेगें
और सिर्फ़ मिल्लते इस्लाम होगी और जो शख़्स भी रूए ज़मीन पर ख़ुदा वंदे आलम के सिवा मअबूद होगा उस पर आसमान से आग नाज़िल होगी और जलायेगी।
मुत्तक़ी हिन्दी ने अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास से रिवायत की है वह बयान करते हैं आपने फ़रमाया: महदी उस वक़्त ज़हूर फ़रमायेंगें जब आफ़ताब से निशानी ज़ाहिर होगी।
मुहम्मद इब्ने अली ने फ़रमाया:
हमारे महदी के लिये दो ऐसी निशानीयों का ज़हूर होगा। जिसका ज़मीन व आसमान की ख़िलक़त से पहले कभी ज़हूर न हुआ होगा।
यानी रमज़ानुल मुबारक की पहली रात में माहताब को गहन लगे और आफ़ताब को दरमीयाने माह में गहन लगेगा यह दोनो अम्र ज़मीन व आसमान की ख़िलक़त के बाद से कभी पेश न आये होगें।
मुत्तक़ी हिन्दी हनफ़ी, हकम बिन अतबा से रिवायत करते हैं, मैने मुहम्मद बिन अली से कहा, सुना है कि अनक़रीब आपके दरमियान से एक शख़्स ज़ाहिर होगा जो इस उम्मत को अदल व इंसाफ़ से भर देगा।
इमाम ने फ़रमाया: अगर दुनिया से सिर्फ़ एक रोज़ भी बाक़ी रह जायेगा ख़ुदा वंदे आलम उस रोज़ को इस क़दर तूलानी कर देगा यहाँ तक कि वही सब होगा जो इस उम्मत की ख़्वाहिश होगी लेकिन इससे क़ब्ल शदीदतरीन फ़ितने वुजूद में आयेंगें, लोग रात के वक़्त हालत इतमीनान में गुज़ारेगें, और सुबह हालते कुफ़्र में। पस तुम में से जिस को भी यह हालात पेश आये उसे अपने परवरदिगार से डरना चाहिये। और अपने अपने घरों में रहना चाहिये।
हाफ़िज़ क़ंदूज़ी की किताब यनाबीऊल मवद्दत में इस आयते करीमा وَاسْتَمِعْ يَوْمَ يُنَادِ الْمُنَادِ مِن مَّكَانٍ قَرِيبٍ…..] और कान लगाकर सुन रखो कि दिन पुकारने वाला नज़दीक ही की जगह से आवाज़ देगा जिस दिन लोग एक सख़्त चीज़ को बख़ूबी सुन लेगें वही ख़ुरूज का दिन होगा।
आयते करीमा के बारे में इमाम सादिक़(अ) ने फ़रमाया मुनादिए क़ायम और उनके वालिद के नाम से निदा करेगा और आयते मज़कूरा में निदा से निदाए आसमानी मुराद है और उसी रोज़ इमाम महदी(अ) ज़हूर फ़रमायेगें।
रिवायत की गयी है कि जिस वक़्त इमाम महदी(अ) ज़हूर फ़रमायेगें, तो बुलंदी से एक मलक इस तरह आवाज़ देगा: यह ख़लीफ़ा ए ख़ुदा महदी(अ) है पस तुम लोग उसकी पैरवी करो।
अबी अब्दिल्लाहिल हुसैन इब्ने अली(अ) से रिवायत की गयी है, आपने फ़रमाया कि जिस वक़्त तुम आसमान की निशानी देखो यानी मशरिक़ की जानिब से अज़ीम आग बुलंद होते हुए देखो जबकि चंद रातें बाक़ी रहेगीं वह वक़्त आले मुहम्मद(अ) और लोगों की आसानी का वक़्त होगा।
यनाबीऊल मवद्दत में अल्लाह के इस क़ौल: अगर हम चाहें तो उन लोगों पर आसमान से आयत का नुज़ूल हो।
इस आयत के बारे में अबू बसीर और इब्ने जारूद के वास्ते से इमाम बाक़िर(अ) से रिवायत की गयी है
इमाम ने फ़रमाया: यह आयत क़ायम के बारे में नाज़िल हुई है। एक मुनादी आसमान से क़ायम(अ) और आपके वालिद के नाम की निदा करेगा।
कंजी अलबयान में अब्दुल्लाह इब्ने उमर से रिवायत बयान की गयी है वह करता हैं आँ हज़रत(स) ने फ़रमाया: जिस वक़्त महदी ज़हूर करेगा उनके सर पर अब्र होगा जिससे निदा करने वाला निदा करेगा यह ख़ुदा का ख़लीफ़ा महदी(अ) है. पस तुम लोग उसका इत्तेबा करो।
बुरहान और अक़्दुद दोरर में बयान किया गया है कि यह निदा तमाम अहले ज़मीन के लिये आम होगी। जिसको हर शख़्स अपनी अपनी ज़बान और लुग़त में सुनेगा।
इमाम महदी की अलामते ज़हूर के बारे में अबू नईम ने हज़रत अली(अ) से रिवायत की है आपने फ़रमाया: महदी का ज़हूर उसी वक़्त होगा जबकि दुनिया का एक तिहाई हिस्सा क़त्ल हो जायेगा एक तिहाई दुनिया मर जाये और एक बाक़ी रहेगी।
सुफ़यानी यनाबीऊल मवद्दत में हुज्जत के वास्ते से अली से अल्लाह ताला के इस क़ौल
ولو تری اذ فزعوا فلا فوت.
के बारे में रिवायत की गयी हज़रत नें फ़रमाया: हमारे क़ायम का ज़हूर से क़ब्ल सुफ़यानी ख़ुरूज करेगा जो एक औरत के हम्ल के बराबर मुद्दत(9 माह) हुकुमत करेगा इसका लश्कर मदीने आयेगा और जैसे ही मक़ामे बैदा पहुचेगा ख़ुदा उसको बर्बाद कर देगा।
इमाम महदी(अ) के ज़हूर के अलामात से मुतअल्लिक़ अमीरूल मोमीनीन अली(अ) से रिवायत की गयी हज़रत ने फ़रमाया: सुफ़यानी ख़ालिद इब्ने यज़ीद इब्ने अबी सुफ़यान की औलाद से होगा जिसका पेट बड़ा और चेहरे पर चेचक के निशान और आँख में सफ़ेद दाग़ होगा।
दमिश्क़ से ख़ुरूज करेगा औरतों के शिकमों को चाक कर के बच्चो को भी क़त्ल कर डालेगा और मेरे अहले बैत से एक शख़्स काबे में ज़हूर करेगा जिसके साथ ख़ुदाई लश्कर होगा जो सुफ़ायान के लश्कर को शिकस्त देगा। बस सुफ़यान अपने लश्कर के साथ वापस जायेगा जैसे ही उसका लश्कर मक़ामे बैदा में पहुचेगा तबाह हो जायेगा और कोई एक भी बाक़ी नही बच सकेगा।
हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम का परदे में होना
خوشتر آن باشد کہ سرّ دلبران – گفتہ آید در حدیث دیگران
अर्थात सच्चाई वह है जिसका इक़रार दुशमन भी करे।
इमाम महदी (अ) के विश्वव्यापी आंदोलन का उल्लेख सिर्फ़ शिया किताबों में ही नही बल्कि दूसरे इस्लामी फिरकों की एतेक़ादी किताबों में भी मिलता है और इन किताबों में उनके बारे में विस्तार पूर्वक वर्णन हुआ है। वह लोग भी मानते हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम (स.) की नस्ल और हज़रत फातिमा ज़हरा (स. अ.)[1] की औलाद से महदी ज़हूर करेंगे।
इमाम महदी (अ) के बारे में अहले सुन्नत के अक़ीदे को जानने के लिए अहले सुन्नत के बड़े आलिमों की किताबों को पढ़ना चाहिए। सुन्नी मुफ़स्सिरों ने अपनी तफ़सीरों में इस बात को स्पष्ट किया है कि क़ुरआने मजीद की कुछ आयतें, आखरी ज़माने में हज़रत इमाम महदी (अ) के ज़हूर की तरफ़ इशारा करती हैं, जैसे फख़रुद्दीन राज़ी..[2] और अल्लामा क़ुरतुबी..[3]
इसी तरह अहले सुन्नत के अधिकतर मुहद्दिसों (हदीस का वर्णन करने वालों व लिखने वालों को मुहद्दिस कहते हैं) ने इमाम महदी (अ) के संबंध में वर्णित हदीसों को अपनी किताबों में नक्ल किया है और इन में अहले सुन्नत की मोतबर किताबें भी शामिल हैं, जैसे सहाहे सित्ता..[4] और मुसनदे अहमद इब्ने हंबल (हंबली फिरक़े के स्संथापक))
अहले सुन्नत के कुछ इस ज़माने और कुछ पिछले ज़माने के आलिमों ने इमाम महदी (अ) के बारे में किताबें भी लिखी हैं, जैसे अबू नईम इस्फ़हानी ने (मजमूअतुल अरबईन) चालीस हदीस और सुयूती ने किताब (अलउरफ़ुल वरदी फि अखबारिल महदी (अ)।
यह बात भी उल्लेखनीय है कि अहले सुन्नत के कुछ आलिमों ने महदवीयत के अक़ीदे के पक्ष में और इस अक़ीदे को न मानने वालों की रद में भी किताबें और लेख लिखे हैं। उन्होंने इल्मी बयानों और हदीसों की रौशनी में इमाम महदी (अ) के वाकिये को यक़ीनी माना है और इस वाक़िये को उन मसाइल में रखा है जिनसे इंकार नही किया जा सकता, जैसे मुहम्मद सिद्दीक मग़रिबी इन्हों ने इब्ने ख़ल्दून की रद में एक किताब लिखी है और उसकी बातों का मुँह तोड़ जवाब दिया है…[5]
प्रियः पाठकों हम यहाँ पर हज़रत इमाम महदी (अ) के बारे में अहले सुन्नत के अक़ीदे के बारे में कुछ नमूने पेश कर रहे हैं।
पैग़म्बरे इस्लाम (स.) ने फ़रमाया :
अगर दुनिया की उम्र का सिर्फ़ एक दिन भी बाक़ी रह जायेगा तो बेशक ख़ुदा वन्दे आलम उस दिन को इतना लंबा बना देगा कि मेरी नस्ल से मेरा हम नाम एक इंसान क़ियाम करेगा…[6]
पैग़म्बरे इस्लाम (स.) ने फरमाया :
मेरी नस्ल से एक इंसान क़ियाम करेगा, जिस का नाम और सीरत मुझसे मिलती जुलती होगी, वह दुनिया को अदल व इन्साफ़ से भर देगा जैसा कि वह ज़ुल्म व सितम से भरी होगी…[7]
यह बात भी उल्लेखनीय है कि यह सब लोग मानते हैं कि आख़िरी ज़माने में इंसानों को निजात दिलाने और इस दुनिया में अदल व इन्साफ़ फैलाने वाला एक इंसान ज़रूर आयेगा। यह अक़ीदा विश्वव्यापी है और इसे सभी लोग क़बूल करते हैं। यह बात भी सच है कि आसमानी धर्मों के मानने वाले सभी लोग अपनी अपनी किताबों की शिक्षाओं के आधार पर उस क़ाइम का इन्तेज़ार कर रहे हैं। मुकद्दस किताब ज़बूर, तौरैत, इनजील और हिन्दुओं व पारसियों की किताबों में भी मानवता को मुक्ति देने वाले एक इंसान के ज़हूर की तरफ़ इशारा हुआ है। यह बात अलग है कि हर क़ौम ने उसे अलग अलग नामों से याद किया है। पारसियों ने उसे सोशियान्स यानी दुनिया को नेजात देने वाला, और ईसाईयों ने उसे मसीहे मौऊद और यहूदीयों ने सरुरे मीकाइली के नाम से याद किया है।
पारसियों की मुकद्दस किताब “जामा सब नामे” में इस तरह उल्लेख हुआ है।
अरब का पैग़म्बर आखरी पैग़म्बर होगा, जो मक्का के पहाड़ों के बीच पैदा होगा, वह गुलामों के साथ मुहब्बत करेगा और गुलामों की तरह रहे सहेगा, उसका दीन सभी दीनों से बेहतर होगा, उसकी किताब तमाम किताबों को बातिल (निष्क्रिय) करने वाली होगी। उस पैग़म्बर की बेटी जिसका नाम खुरशीद जहां और शाहे ज़मां होगा उसकी नस्ल से ख़ुदा के हुक्म से इस दुनिया में एक ऐसा बादशाह होगा जो इस पैग़म्बर का आखरी जानशीन (उत्तराधिकारी) होगा और उसकी हुकूमत क़ियामत से मिल जायेगी…[8]
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[1] . अलमुस्तदरक अला सहीहैन, जिल्ज 4, पेज न. 557 ।
[2] . अत्तफसीर उल कबीर, जिल्द न. 16, पेज न. 40 ।
[3] . अत्तफसीर उल क़ुरतुबी, जिल्द न. 8, पेज न. 121 ।
[4] . अहले सुन्नत की छः सहीह किताबों को (सहाहे सित्ता) कहा जाता है यह सब हदीसों की किताबें हैं और अहले सुन्नत इन्हें मोतबर और यक़ीनी किताबों में गिनते हैं, जिन के नाम इस तरह हैं, सहीहे बुखारी, सहीहे मुसलिम, सुनने अबू दाऊद, सुनने इब्ने माजा, सुनने निसाई, और जामे तीरमिज़ी, इन किताबों में नक्ल होने वाली हदीसों को सही माना जाता है और सब को पैग़म्बरे अकरम (स.) का पैगाम माना जाता है, अहले सुन्नत के नज़दीक कुरआने करीम के बाद सबसे मोतबर इन्हीं किताबों को माना जाता है।
[5] . इब्ने खल्दून जिन्हे अहले सुन्नत में इल्मे हयात का बड़ा आलिम माना जाता है, उन्हों ने हज़रत इमाम महदी (अ) के बारे में कुछ रिवायतों पर ऐतेराज़ किया है और उन्हें ज़ईफ़ बताया है, और हज़रत इमाम महदी (अ) से संबंधित कुछ रिवायत को सही भी माना है, लेकिन फिर भी उन्होंने महदवियत के मसले में शक व तर्दीद का इज़हार किया है। मोहमम्द सिद्दीक मग़रिबी ने अपनी किताब (इबराज़ुल वहम अलमकनून मिन कलामि इब्ने खल्दून) में उनकी बातों को रद किया है।
[6] . सोनने अबू दाउद, जिल्द न. 2, हदीस 4282, पेज न. 106 ।
[7] . मोअजमे क़बीर जिल्द न. 10, हदीस 10329, पेज न. 83 ।
[8] . अदयान व महदवियत, पेज न. 21
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