Thursday, November 30, 2023
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यूपी में बिजली व्यवस्था धवस्त, अंधेरे के साए में डिप्टी सीएम केशव मौर्य का ससुराल, सास ने कहा- दामाद हमारा डिप्टी सीएम लेकिन….. V.o.H News

इलाहाबाद। सरकार ने भले ही पंडित दीनदयाल ग्रामीण ज्योति योजना के तहत गांव-गांव बिजली पहुंचाने का ऐलान किया हो, लेकिन इसे डिप्टी सीएम केशव मौर्य के ससुरालियों की बदनसीबी ही कहा जाए कि विद्युत विभाग की तरफ से विद्युतीकरण की लिस्ट में भी उनके गांव का नाम नहीं है।

 

 

जी हां, केशव प्रसाद मौर्या के ससुराल में अंधेरा छाया हुआ है। वहां अब भी बिजली नहीं है। जी हां, आज हम आपको बताते हैं कि डिप्टी सीएम का ससुराल कहां है और वहां अब भी अंधेरा क्यों है। 

 

मौर्य के गृह जनपद कौशांबी के खूझा गांव में उनकी ससुराल है। लेकिन इस गांव की बदहाल स्थिति विकास कार्यों की पोल खोल रही है। आजादी के साथ दशक बीत जाने के बाद भी इस गांव में अंधेरा ही अंधेरा है। 

 

सिराथू, जहां से केशव प्रसाद मौर्य विधायक रह चुके हैं, वहां से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर खूझा गांव है। 300 सौ से अधिक आबादी वाले इस गांव में आजादी के बाद से अब तक लोगों को बिजली नहीं नसीब हुई। खूझा गांव के लोगों को बड़ी उम्मीदें थी कि इस गांव का दामाद केशव मौर्य प्रदेश का डिप्टी सीएम है, अब उनके गांव में बिजली के साथ-साथ विकास की हवा भी बहेगी, लेकिन उनकी यह उम्मीदें महज एक सपना ही साबित हो रही हैं।

 

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की सास राम दुलारी ने भी इस बात को स्वीकार किया कि उनके दामाद उप मुख्यमंत्री हैं और उनके गांव में बिजली नहीं है। वहीं इस मामले पर अधिकारीयों का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि खूझा गांव में बिजली नहीं है।

 

बिजली ही नहीं आधुनिक युग मे बदहाली का दंश झेल रहा खूझा गांव के लोग शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत पीछे हैं। गांव के बच्चे ढ़िबरी के सहारे पढ़ाई लिखाई तो जरूर करते है, पर उनके भविष्य पर बिजली की कमी कुंडली मार कर बैठी है। विकास की राह में कोसो दूर खड़ा खूझा गांव के लोगों के लिए बिजली की कमी कितना सताती है इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। इस भीषण गर्मी में लोगों का बुरा हाल है। दहेज में मिला टीवी, फ़्रिज, कूलर आदि आधुनिक समान कूड़े की तरह एक कोने में पड़े हैं।

 

गांव के लोग बताते है कि खूझा गांव में बहन बेटियों की शादी भी बामुश्किल हो पाती है। गांव में जिन लोगों की आर्थिक स्थिति ठीक है वो तो गेस्ट हाउस से शादी विवाह कर लेते है। लेकिन जो गरीब तबके के लोग है उनके बहन बेटियों की डोली आज भी पेट्रोमैक्स यानी कि गैस की रोशनी में उठती है। पेट्रोमैक्स के अलावा अगर इस गांव में बिजली का कोई साधन है तो वो है एकाध सोलर पैनल। जिसके सहारे शाम को रोशनी हो जाती होगी।

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