नई दिल्ली। कहते हैं कि फिल्मों में या तो फिल्मी परिवार से ताल्लुक रखने वाले लोगों का सिक्का चलता है या फिर ऊंची जाति के लोगों का। आपके नाम के साथ कपूर लगा है तो आपको काम मिल ही जाएगा। लेकिन अगर आप दलित या पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखते हैं तो आपको काम मिलना बहुत ही मुश्किल है। उस पर हीरो बनना और वह भी टॉप का हीरो बनना तो लगभग असंभव ही है।
बॉलीवुड ही देख लीजिए या तो बॉलीवुड में खान सरनेम चलता है या फिर बच्चन। लेकिन देश की एक ऐसी इंडस्ट्री है जहां पिछड़ी जाति के एक एक्टर का जलवा है। वो भी उस इंडस्ट्री में जहां ठाकुरों और ब्राह्मण जाति के लोगों का बोलबाला रहा है। हम बात कर रहे हैं भोजपुरी इंडस्ट्री की और इस इंडस्ट्री के सबसे बड़े सुपरस्टार दिनेश लाल यादव की। आइए आपको बताते हैं उसी स्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ की कहानी..
दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ गाजीपुर के छोटे से गांव टंडवा से ताल्लुक रखते हैं। भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में आने से पहले दिनेश छोटे-छोटे कार्यक्रम में गाते थे। एलबम ‘निरहुआ सटल रहे’ ने दिनेश को स्टार बना दिया था। इसके बाद से लोग दिनेश को ‘निरहुआ’ के नाम से पुकारने लगे। निरहुआ नाम फेमस होने के बाद ‘निरहुआ सटल रहे’, ‘निरहुआ हिन्दुस्तानी’, ‘निरहुआ रिक्शावाला’, निरहुआ चलल ससुराल’ जैसे कई फिल्म बनी। कई के सीक्वल भी बने जो हिट हुए।
निरहुआ की मां बताती हैं, “दिनेश को बचपन से ही गीत-संगीत का शौक था। वो कभी रियाज से नहीं चूकता था। भैंसे चराते वक्त भी उनकी पीठ पर बैठकर गाने गाता था। उसके पति चाहते थे कि दिनेश पढ़ लिखकर अच्छी नौकरी करे, लेकिन वो एक्टर बनना चाहता था। वो अपने रिश्ते के बड़े भाई और बिरहा सिंगर विजय लाल यादव को फॉलो करता था।”
दिनेश लाल यादव ने बताया कि उनके पिता कुमार यादव खेती करते थे। बाद में कलकत्ता चले गए और एक फैक्ट्री में 4 हजार रुपए सैलरी पर काम करने लगे। खुद के बारे में बात करते हुए निरहुआ ने बताया, चचेरे भाई बिरहा गायक विजय लाल यादव का गाना सुनकर सिंगर बनने की सोची और एक कदम आगे बढ़ाया। 2001 में उनके दो म्यूजिक एलबम ‘बुढ़वा में दम बा’ और ‘मलाई खाए बुढ़वा’ रिलीज हुए थे। इस एलबम की वजह से उन्हें पहचान मिल गई थी।
भाई की मदद से 2003 में निकला म्यूजिक अलबम ‘निरहुआ सटल रहे’ सुपरहिट हो गया। इसी के बाद बिहार, झारखंड, यूपी, मुंबई में भोजपुरी बोलने वाली जनता के लिए स्टार सिंगर बन गया। इसके बाद 2005 में पहली बार मुंबई पहुंचा। प्रोड्यूसर सुधाकर पांडेय ने मुझे फिल्म ‘चलत मुसाफिर में छोटा सा रोल करने का मौका दिया। पहली फिल्म के एक्शन और एक्टिंग देखकर मेरा रोल बढ़ता गया और हीरो के जैसे मेरा रोल हो गया, जिसके मुझे 5 लाख रुपए मिले। ये फिल्म हिट हो गई।
वह अब तक 60 से ज्यादा फिल्में कर चुके हैं, इसमें से 6 से ज्यादा फिल्में सिल्वर जुबली हैं। 2014 में रिलीज हुई उनकी फिल्म ‘निरहुआ हिंदुस्तानी’ ब्लॉकबस्टर हिट हुई। जिसको 2015 में यूट्यूब ने लॉन्च किया, जो आज 1 करोड़ 53 लाख 38 हजार बार देखा जा चुका है, जिसने भोजपुरी फिल्मों में इतिहास कायम किया है।
दिनेश लाल यादव आज भले ही भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार हैं। आज भले ही उन्हें भोजपुरी सिनेमा का भोजपुरी स्टार कहा जाता है, लेकिन उनके शुरुआती दिन काफी संघर्ष भरे रहे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिनेश लाल यादव के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वो एक साइकिल तक खरीद पाते। इसकी वजह से उन्हें पैदल की मीलों का सफर तय करना पड़ता था, लेकिन आज ऐसा नहीं है।
अपनी मेहनत और जबरदस्त संघर्ष के बल पर दिनेश लाल यादव आज भोजपुरी सिनेमा के इतने बड़े स्टार बन गए हैं कि ना सिर्फ भोजपुरी बल्कि साउथ के वो निर्माता-निर्देशक भी उन पर दांव लगाना चाहते हैं जो भोजपुरी में काम करना चाहते हैं।
आज दिनेश लाल यादव साल में 4 से 5 फिल्में करते हैं वो सभी हिट रहती हैं। दिनेश लाल यादव भोजपुरी सिनेमा के एकमात्र ऐसे स्टार हैं जिनकी 2015 में पांच फिल्में आईं और पांचों ही ब्लॉकबस्टर रहीं। पांचों फिल्मों ने जबरदस्त कमाई की। इस मायने में वो बॉलीवुड स्टार अक्षय कुमार को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। अक्षय की भी साल में चार से पांच फिल्में आती हैं। उनकी कई ऐसी फिल्में रही हैं जो लगातार 35 हफ्तों तक सिनेमाघरों में चली हैं और सिल्वर जुबली मनाई है। इसीलिए दिनेश लाल यादव को भोजपुरी सिनेमा का जुबली स्टार भी कहा जाता है।
दिनेश लाल यादव नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर कई लाइव शोज भी कर चुके हैं जो काफी सक्सेसफुल रहे हैं। पटना, यूपी से लेकर बिहार में दिनेश लाल यादव किसी खान से कम पॉपुलर नहीं हैं। आज उनके फैंस उनकी फिल्मों के इंतजार कुछ इस तरह करते हैं मानों कोई त्योहार आने वाला हो।